
ट्रेड वॉर के बीच मुनाफे की जंग, सीमा शुल्क बढ़ने की आशंका से उद्यमियों में रोष -
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एलॉय एल्युमिनियम के उद्यमियों का कहना है कि स्क्रेप के सीमा शुल्क को बढ़ाने से देश को आर्थिक नुकसान उठाना होगा साथ ही उनका व्यापार भी ठप हो जाएगा। By Sachin MishraEdited By: Updated: Thu, 25
Oct 2018 06:47 PM (IST) अहमदाबाद, जेएनएन। अमेरिका व चीन के बीच चल रहे ट्रेड वॉर के बीच भारत में मुनाफा कमाने के लिए जहां हिंडाल्को व वेदांता कंपनी एल्युमिनियम स्क्रेप के आयात को कम करने की
बात कर रहे हैं, वहीं साढ़े तीन हजार एलॉय एल्युमिनियम के उद्यमियों का कहना है कि स्क्रेप के सीमा शुल्क को बढ़ाने से देश को आर्थिक नुकसान उठाना होगा साथ ही उनका व्यापार भी ठप हो जाएगा। अॉल
इंडिया नॉन फेरस मेटल एसोसिएशन के अध्यक्ष महेंद्र शाह का आरोप है कि केंद्र सरकार ने आयात किए गए स्क्रेप एल्युमिनियम से तैयार एलॉय एल्युमिनियम उत्पाद पर 18 प्रतिशत जीएसटी वसूल रही है। अब इसके
सीमा शुल्क को ढाई से बढ़ाकर साढ़े सात फीसदी करने की तैयारी है। इससे देश के साढे तीन हजार अलॉय एल्युमिनियम के छोटे उद्यमियों का व्यापार करना मुश्किल हो जाएगा। उनका कहना है कि हिंडाल्को व
वेदांता जैसी बड़ी कंपनियां अमेरिका व चीन के बीच चल रहे ट्रेड वॉर के बीच मुनाफा कमाने के लिए केंद्र पर स्क्रेप एल्युमिनियम का सीमा शुल्क बढ़ाने का दबाव डाल रहे हैं। इससे छोटे उद्यमियों को
नुकसान होगा ही साथ ही देश को भी आयात दो लाख टन से सात लाख टन तक बढ़ाना पड़ेगा, जिससे विदेशी मुद्रा का अधिक भुगतान करना होगा। एसोसिएशन के सचिव जयंत जैन बताते हैं कि देश में सालाना 9 लाख टन
एल्युमिनियम की जरूरत होती है।हाल ही में दो लाख टन स्क्रेप एल्युमिनियम का आयात किया जा रहा है। सीमा शुल्क बढ़ने से देश के एल्युमिनियम उद्योग चौपट हो जाएंगे तथा आयात 7 लाख टन तक बढ़ाना पड़ेगा।
उनका कहना है कि एलॉय एल्युमिनियम से बन रहे उत्पाद मारुति, हीरो, होंडा, टोयटा जैसी ऑटोमोबाइल कंपनियां उपयोग कर रही है, लेकिन बड़ी औद्योगिक घराने इसे खराब क्वालिटी वाला बताकर इस पर रोक लगा
देना चाहता है, ताकि दस हजार करोड़ के इस बाजार पर उनका कब्जा हो जाए। आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।