
शिरडी धाम की ये रसोई रोज 60 हजार लोगों का भरती है पेट, साईं के इस किचन के नाम है एशिया की सबसे बड़ी सौर रसोई का खिताब
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महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में शिरडी के साईं बाबा का विख्यात साईं मंदिर है जहां विश्व के कोने-कोने से साईं भक्त अपनी मनोकामनाएं लेकर मंदिर में आते हैं। वहीं शिरडी साईं के मंदिर से कुछ ही
दूरी पर विश्व की सबसे बड़ी रसोईयों में से एक साईं की रसोई भी मौजूद है। साई प्रसादालय के नाम से मशहूर इस रसोई में रोजाना करीब 60 हजार लोगों को खाना खिलाया जाता है। यहां एक बार में करीब 3500
लोगों को खिलाने की सुविधा है। माना जाता है कि ये अपने आप में एक रिकॉर्ड है। साईं बाबा संस्थान के अनुसार इस किचन की शुरुआत 19वीं सदी में हुई थी। लोगों की मान्यता है कि साईं बाबा खुद चक्की
पीसकर लोगों को भोजन करवाते थे। अपनी एक खासियत के लिए ये किचन पूरे विश्व में विख्यात है…वो है 15 करोड़ किमी. दूर सूरज की किरणों से सौर उर्जा से खाना बनाने का तरीका। इसके लिए छत पर बड़ी-बड़ी
सोलर छतरियां लगाई गईं हैं जिनकी संख्या 73 है।
Shirdi Sai Temple.com की रिपोर्ट के अनुसार साईं किचन में रोजाना करीब 30 हजार रोटियां बनाई जाती हैं। जिसके लिए 6 टन आटे का इस्तेमाल किया जाता है। बकायदा यहां रोटी बनाने की मशीन लगी है जो हर 3
घंटे में तीस हजार रोटियां बनाती है। रिपोर्ट के अनुसार 15 रुपए की लागत से बनने वाली एक थाली की कीमत यहां दस रुपए है। जबकि बच्चों के लिए ये कीमत 4 रुपए रखी गई है। हालांकि गरीब भक्तों को भोजन
कराने के लिए यहां कोई शुल्क नहीं लिया जाता है। यहां सुबह 9:30 से रात 9:30 बजे तक लगातार भक्तों को भोजन कराया जाता है। इसलिए आज इस किचन को एशिया के सबसे बड़े सोलर किचन का खिताब हासिल है। 240
करोड़ की लागत से बने इस किचन का एरिया 183000 स्क्वेयर फीट है जिसमें हजारे भक्त एक साथ खाना खा सकते हैं।
डिस्कवरी चैनल की रिपोर्ट के अनुसार इस विशाल किचन को चलाने के लिए ऊर्जा के ऐसे स्त्रोत का प्रयोग किया जाता है जोकि साईं बाबा के सिद्धांतों से बखूबी मेल खाता है। साईं की किचन को चलाने के लिए
सूरज की रोशनी का इस्तेमाल किया जाता है। इसके लिए छत पर बकायदा सौर ऊर्जा की बड़ी-बड़ी छतरी लगाई गई हैं। इस सोलर प्लान को दीपक गढ़िया की विशेष देख रेख में तैयार किया गया है। रसोई में ईंधन के
लिए उस तकनीक का प्रयोग किया गया है जैसे मैग्नीफाई ग्लास से कागज को जलाया जाता है। किचन की छत पर लगी हर डिश की लंबाई 16 वर्ग मीटर के करीब है जिसमें 380 शीशे लगाए गए हैं। सभी डिशों को कतार में
लगाया गया है जो सामने लगे रिसीवर तक सोलर एनर्जी को रिफ्लेक्ट करते हैं। वहीं रिसीवर के ठीक ऊपर पानी भरा होता है। जिससे पानी गर्म होकर भाप में बदल जाता है और उसका इस्तेमाल खाने बनाने में किया
जाता है।
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पहनने वाली महिलाओं को पसंद करते हैं। उन्होंने पहले भी ऐसे बयान दिए हैं, जिससे विवाद हुआ था। उनके इस बयान पर सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं।