
दो मानव प्रजातियों के एक साथ रहने का सबूत
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उत्तरी केन्या में एक कीचड़ वाली झील के किनारे पर मिले कदमों के निशानों से वैज्ञानिकों को बड़ी जानकारी मिलने की उम्मीद जगी है. कदमों के निशान जिन रास्तों पर मिले हैं वो अब जीवाश्म में बदल
चुके हैं. कूबी फोरा नाम की जगह पर मिले ये निशान पहली बार इंसानों की दो प्रजातियों के साथ रहने का सबूत बन सकते हैं. इस खोज ने इंसानों की दो प्रजातियों के बीच संभावित रिश्तों या फिर संसाधनों
की लड़ाई को लेकर कई पहेलियों को जन्म दिया है. मानव की दो प्रजातियां इन दो प्रजातियों में एक है पैरंथ्रोपस बोइसे जो आधुनिक मानव के सुदूर पूर्वजों में ज्यादा पुराना है. यह धरती पर 23 लाख से 12
लाख साल पहले तक रहा था. यह करीब 4 फीट 6 इंच लंबा था. इनके सिर, चबाने वाले बड़ी मांसपेशियों के लिए तैयार हो चुके थीं. इनमें नर गोरिल्ला के जैसी कपाल पर मौजूद संरचनाएं और चबाने वाले बड़े
दांत भी शामिल हैं. इनके पैरों में कपियों जैसी रेखाएं और बड़े अंगूठे भी हैं. दूसरी प्रजाति होमो इरेक्टस की है जो हमारी उत्पत्ति की वंशावली का शुरुआती सदस्य था. उसके शरीर की आकृति होमो सेपियंस
यानी आधुनिक मानव जैसी ही थी. यह 18.9 लाख से 1.10 लाख साल पहले तक धरती पर रहा था. इनकी लंबाई 4 फीट 9 इंच से लेकर 6 फीट 1 इंच तक थी. इनके कपाल पर आंखों के ऊपर का उभार (ब्रो रिज) बड़ा था और
मस्तिष्क का आकार पैरंथ्रोपस बोइसे से बड़ा मगर होमो सेपिएंस से छोटा था. निएंडरथाल और आधुनिक मानव यूरोप में 2000 साल साथ रहे रिसर्चरों ने 2021 में लेक तुर्काना के पास पैरों के निशान देख थे.
उन्होंने 12 पैरों के निशान खोजे हैं इनमें से हरेक की लंबाई करीब 10.25 इंच है. ये लंबे निशान अपने आकार और गति के आधार पर वयस्क पैरंथ्रोपस बोइसे के माने जा रहे हैं. तीन अलग पैरों के निशान भी
हैं जिनकी लंबाई 8-9.25 इंच तक है. ये आधुनिक इंसान के हैं और दूसरे निशानों के रेखा को बिल्कुल लंबवत् काटते हैं. इनमें से दो निशान तो बिल्कुल होमो इरेक्टस के हैं जो संभवतः नाबालिग थे. तीसरे
निशान को पक्के तौर पर किसी का बताने से वैज्ञानिक बच रहे हैं. दोनों प्रजातियों के बीच संबंध रिसर्चरों का कहना है कि चलने के रास्ते ऐसा लगता है कि कुछ ही घंटो या फिर कुछ दिनों के अंतर पर बने
हैं, यहां की कीचड़ कभी ना तो सूखी और ना ही उसमें दरारें पड़ीं. वहां से गुजरने वाले लोगों ने शायद एक दूसरे को देखा था. हालांकि उनमें परस्पर किसी क्रिया-प्रतिक्रिया के कोई सबूत नहीं हैं. साइंस
जर्नल में छपी रिसर्च रिपोर्ट के सहलेखक और कूबी फोरा रिसर्च प्रोजेक्ट की निदेशक लुइज लिकी का कहना है, "पैरों के निशान के जीवाश्म हमें उस वक्त की सही तस्वीर दिखाते हैं, जो 15 लाख साल
पहले की है. इंसानों के अलग अलग पूर्वज एक दूसरे के सामने से गुजरे थे. छिछले पानी में चलते हुए शिकार के लिए या फिर कहीं जमा होने गए." डीएनएन परीक्षण से लिखा जा रहा है मानवजाति का नया
इतिहास रिसर्चरों ने उन रास्तों का दोबारा विश्लेषण किया है जो वहां आसपास में पहले मिले थे. इसके आधार पर उनका कहना है कि कीचड़ वाली सतह के जीवाश्म में दोनों प्रजातियां एक साथ मौजूद थीं और यह
दौर कम से कम 2 लाख साल तक का था. साथ रहने की कहानी रिसर्च रिपोर्ट के दूसरे प्रमुख लेखक केविन हटाला का कहना है, "यह संभव है कि इन दोनों प्रजातियों में सीधी प्रतिद्वंद्विता ना हो बल्कि इस
साझी जमीन पर संसाधनों का इस्तेमाल करते हों." दोनों के पोषण की जरूरतें शायद अलग होने की वजह से उनके बीच कोई होड़ नहीं थी. लीकी ने बताया, "पैरंथ्रोपस बोइसे निम्न स्तर का भोजन खाते
थे जिसे उन्हें खूब चबाना पड़ता था. होमो इरेक्टस सर्वाहारी माने जाते हैं, जो औजारों का इस्तेमाल कर मांस को काटते थे और उनके भोजन में मांस शामिल था." आधुनिक मानव और निएंडरथाल के बीच कितना
अंतर था? पैरों के निशान इन प्रजातियों की शारीरिक संरचना, गति, व्यवहार और वातावरण के बारे में जानकारी देते हैं जो हड्डियों के जीवाश्म या फिर पत्थर के औजारों से नहीं मिल सकती. दोनों
प्रजातियों के पैरों की बनावट और चाल अलग है. पैरों के ये निशान जब बने उसके कुछ लाख साल के बाद पैरंथ्रोपस बोइसे लुप्त हो गए जबकि होमो इरेक्टस उसके बाद खूब फले फूले और उभरे. होमो सेपिएंस के
सीधे पूर्वज माने जाने वाले होमो इरेक्टस शायद पहली मानव प्रजाति थी जो अफ्रीका से बाहर निकली. जिस जगह जीवाश्म मिले हैं वह एक झील का किनारा है जो एक नदी के मुहाने पर स्थिति है और संसाधनों से
भरा पूरा है. विकास के क्रम में मानव की दो प्रजातियों का कभी एक साथ अस्तित्व नहीं रहा, वैज्ञानिक अब तक यही मानते आए हैं. हालांकि हाल में हुई कुछ खोजों ने नई उम्मीदों को जन्म दिया है. मुमकिन
है आने वाले समय में कुछ और सबूत इस बारे में वैज्ञानिकों की धारणा और मानव जाति के इतिहास को बदल दें. एनआर/एसएम (रॉयटर्स, एपी)