
नोकियाः फ़ोन कारोबार बेचने की नौबत
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नोकिया एक समय मोबाइल फ़ोन बाज़ार में दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी थी, लेकिन हाल ही में उसे सैमसंग और एपल जैसे प्रतिस्पर्धियों से मिली चुनौती के कारण तगड़े संघर्ष का सामना करना पड़ा है. इस
लेन-देन के लिए अभी नोकिया के शेयरधारकों और नियामक मंजूरी का इंतज़ार है. नोकिया के निदेशक मंडल के अध्यक्ष रिस्तो सिलास्मा ने कहा, "हमें भरोसा है कि यह सौदा नोकिया और उसके शेयरधारकों के
लिए आगे बढ़ने का सबसे अच्छा रास्ता है." भारत में भी नोकिया को सैमसंग से तगड़ी चुनौती मिल रही है. चुनौती का सामना नोकिया को सैमसंग और एपल से तगड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा रहा था.
दक्षिण कोरियाई कंपनी सैमसंग ने भारतीय मोबाइल हैंडसेट बाज़ार में नोकिया का एक दशक से चला आ रहा दबदबा ख़त्म करते हुए पहला स्थान हासिल कर लिया है. वित्तीय वर्ष 2012-13 के दौरान भारत में नोकिया
के राजस्व में 18 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है. कंपनी का राजस्व वित्त वर्ष 2011-12 में 11925 करोड़ था, जो 2012-13 में 9780 करोड़ रुपए रह गया. दुनिया भर में नोकिया के प्रदर्शन पर गौर करें, तो
मोबाइल फ़ोन कंपनी की बिक्री जून में ख़त्म हुई तिमाही के दौरान 7.46 अरब डॉलर थी, जो पिछले साल की इसी अवधि के मुक़ाबले 24 फ़ीसद कम थी. इस दौरान कंपनी के मोबाइल फ़ोन की कुल बिक्री पिछले साल के
मुकाबले 27 प्रतिशत कम रही. नोकिया की दिक्क़तें शोध संस्था सीसीएस इंसाइट के मुताबिक कंपनी में लाई गई व्यापक तबदीली और प्लाटफार्म में बदलाव के बाद भी नोकिया स्मार्टफ़ोन के बाज़ार में दूसरे
बड़े खिलाड़ियों एप्पल और सैमसंग के मुक़ाबले बस चल भर पा रहा है. नोकिया की दूसरी दिक्क़त है कि उसके फ़ीचर फोन्स की बिक्री भी दबाव में है. नोकिया को इस क्षेत्र में गूगल के एंडरॉयड सिस्टम से
चलने वाले सस्ते फ़ोन्स से दिक्क़त का सामना करना पड़ रहा है. नोकिया का दबदबा खत्म होने का फिनलैंड की अर्थव्यवस्था पर भारी असर पड़ा है. नोकिया का फिनलैंड के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में साल
2000 में चार प्रतिशत योगदान था, वहीं यह 2001 में सिमटकर आधा प्रतिशत रह गया है.