
Pitru paksha 2019: 28 सितंबर को बन रहा शनिश्चरी अमावस्या योग इस पूजन विधि से दूर होगा पितृ दोष
- Select a language for the TTS:
- Hindi Female
- Hindi Male
- Tamil Female
- Tamil Male
- Language selected: (auto detect) - HI
Play all audios:

दिनाँक 28 सितम्बर 2019, शनिवार को सर्व पितृ अमावस्या के साथ शनि अमावस्या का भी विशेष योग बन रहा है। इस बार इस दिन शनि देव को प्रसन्न करने के लिए श्राद्ध पक्ष में श्राद्ध का पहला भोग कौओं को
अवश्य चढ़ायें। मान्यताओं के अनुसार पुराणों में कौओं को देव पुत्र माना गया है, लोक कथा के अनुसार इंद्र के पुत्र जयन्त ने ही सबसे पहले इंद्र देव का रूप धारण किया था।भगवान राम के अवतार लेने के
बाद जब इंद्र के पुत्र जयंत ने कौए का रूप धारण कर माता सीता को घायल कर दिया था, तब भगवान श्री राम ने गुस्से में तिनके से ब्रह्मास्त्र चला कर जयंत की आँखें फोड़ दी थीं। जब उसने अपने किये पर छमा
मांगी, तब भगवान श्री राम ने उसे यह वरदान दिया कि तुम्हें अर्पित किया हुआ भोग भोजन के रूप में पितरों को मिलेगा। विशेषतौर पर श्राद्ध पक्ष में, तभी से कौओं को भोजन कराने की परंपरा चली आ रही
है। कौओं को भोजन कराने के पीछे है ये वजह कौओं को पितृ पक्ष में भोजन कराने के साथ ही एक रहस्य यह भी है कि कौआ शनि देव का वाहन होने के कारण उसकी प्रसन्ता पर शनि देव का कुप्रभाव शनि की ढैय्या
व साढ़े साती होने पर शनि देव की शांति होती है।इसके साथ ही पितरों के प्रसन्न होने पर पितृ दोष एवं कालसर्प योग भी किसी हद तक शान्त होता है।पंच ग्रास में गाय, चींटी, कुत्ता, कौआ और अतिथि के
ग्रास अवश्य निकालने चाहिये। Pitru Paksha 2019: पितृ पक्ष के आखिरी दिन इस विधि से करें श्राद्ध, प्रसन्न होंगे पितर शनि अमावस्या पर पीपल वृक्ष की पूजा से करें पितृ दोष निवारण पीपल वृक्ष में
सभी देवी-देवताओं का निवास माना जाता है।देवी-देवताओं के साथ ही पीपल में पितरों का निवास भी मानते हैं।जो व्यक्ति पितृ दोष से पीड़ित हो उसको पितरों की संतुष्टि के लिए पीपल वृक्ष का पूजन-अर्चन,
दीप दान, अभिषेक आदि अवश्य करना चाहिए।पीड़ित व्यक्ति इस शनिवार अमावस्या के दिन प्रातः काल अथवा सांय काल गोधूलि की बेला में तांबे के पात्र में जल लेकर तथा घी का दीपक लेकर पीपल वृक्ष के पास
जाएं। तत्पश्चात सर्वप्रथम पीपल वृक्ष में विराजमान पितरों का स्मरण कर तांबे के पात्र से जल चढ़ा कर पीपल का जलाभिषेक करें। तत्पश्चात घी का दीपक प्रज्ज्वलित कर 'पितृ गायत्री मंत्र' का
उच्चारण कर अपने पितरों का स्मरण करें। उनकी प्रसन्नता के लिए पीपल वृक्ष की तीन परिक्रमाएं करें।इस उपाय में यदि सम्भव हो तो प्रातः काल जलार्पण एवं परिक्रमा करें तथा दीपक प्रज्ज्वलन का कार्य
सांय काल करें।इस उपाय में लोहे का पात्र वर्जित है।शनि ग्रह के अशुभ प्रभाव को शांत करने के लिए शनिवार के दिन दीप दान करें एवं कच्चे सूत को पीपल वृक्ष पर लपेटना चाहिये। सर्व पितृ अमावस्या पर
शस्त्राघात से शहीद हुए सैनिकों का श्राद्ध करना भी अतिउत्तम रहेगा। -ज्योतिषाचार्य पंडत राजीव शर्मा Pitru Paksha 2019: पुत्र न हो तो पत्नी भी कर सकती है श्राद्ध, भोजन में इन चीजों का करें
इस्तेमाल