
गूगल बाबा के 'आशीर्वाद' से चल रहा था खेल
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रेलवे के ऑनलाइन एग्जाम के सवाल का जवाब गूगल पर खोजा जाता था एसटीएफ पहुंची तो जवाब खोजने में जुटे थे तीन लोग एक दर्जन लोगों को पहुंचता देख कई लोग मौके से खिसक गए रेलवे के ऑनलाइन एग्जाम के
सवाल का जवाब गूगल पर खोजा जाता था एसटीएफ पहुंची तो जवाब खोजने में जुटे थे तीन लोग एक दर्जन लोगों को पहुंचता देख कई लोग मौके से खिसक गए ALLAHABAD: [email protected] ALLAHABAD: रेलवे के
ऑनलाइन एग्जाम में नकल गूगल बाबा के 'आशीर्वाद' से हो रही थी। तेलियरगंज में हिमांशु रावत के मकान में तीन लोग कंप्यूटर पर पेपर सॉल्व कर रहे थे जबकि तीन गूगल पर जवाब खोज रहे थे। जब
एसटीएफ की गाडि़यां मकान के पास आकर रुकीं तो रेड का हल्ला मच गया। कई लोग कंप्यूटर छोड़कर अगल-बगल की छत से कूदकर भाग निकले। एसटीएफ के हत्थे चाय पहुंचाने वाले व कुछ अन्य लोग भी चढ़ गए थे
जिन्हें पूछताछ के बाद छोड़ दिया गया था। सर्विलांस से हुआ काम तमाम सीओ के मुताबिक ऑनलाइन एग्जाम में नकल कराने का धंधा कई साल से चल रहा था। आरआरबी से क्लू मिलने के बाद कई नंबरों को सर्विलांस
पर लगाया गया। इसके बाद पक्की सूचना मिली जिस पर रेड डाली गई और कई लोग रंगे हाथ पकड़े गए। यह पता चला है कि कंडीडेट खोजने का काम भी रेलवे का इंजीनियर विनोद प्रसाद करता था। सेंटर पर सेटिंग व
पेपर सॉल्व करने कंडीडेट को लाने का काम युनाइटेड इंजीनियरिंग कॉलेज के विजय शुक्ला व यशवंत सिंह भी करते थे। दोनों गोंडा के रहने वाले हैं। इस धंधे में एग्जाम कंडक्ट कराने वाली टाटा कंसलटेंसी
सर्विस के भी कई लोग शामिल हैं। इसी कंपनी के अंकुर झा का नाम भी सामने आया है और उसकी तलाश की जा रही है। विनोद के साथ रेलवे के और कौन-कौन से लोग इस खेल में लगे हैं, इसका पता लगाया जा रहा है।
मेन कंप्यूटर भी हो जाता था हैक रेलवे के ऑनलाइन एग्जाम में नकल गूगल बाबा के 'आशीर्वाद' से हो रही थी। तेलियरगंज में हिमांशु रावत के मकान में तीन लोग कंप्यूटर पर पेपर सॉल्व कर रहे थे
जबकि तीन गूगल पर जवाब खोज रहे थे। जब एसटीएफ की गाडि़यां मकान के पास आकर रुकीं तो रेड का हल्ला मच गया। कई लोग कंप्यूटर छोड़कर अगल-बगल की छत से कूदकर भाग निकले। एसटीएफ के हत्थे चाय पहुंचाने
वाले व कुछ अन्य लोग भी चढ़ गए थे जिन्हें पूछताछ के बाद छोड़ दिया गया था। सर्विलांस से हुआ काम तमाम सीओ के मुताबिक ऑनलाइन एग्जाम में नकल कराने का धंधा कई साल से चल रहा था। आरआरबी से क्लू
मिलने के बाद कई नंबरों को सर्विलांस पर लगाया गया। इसके बाद पक्की सूचना मिली जिस पर रेड डाली गई और कई लोग रंगे हाथ पकड़े गए। यह पता चला है कि कंडीडेट खोजने का काम भी रेलवे का इंजीनियर विनोद
प्रसाद करता था। सेंटर पर सेटिंग व पेपर सॉल्व करने कंडीडेट को लाने का काम युनाइटेड इंजीनियरिंग कॉलेज के विजय शुक्ला व यशवंत सिंह भी करते थे। दोनों गोंडा के रहने वाले हैं। इस धंधे में एग्जाम
कंडक्ट कराने वाली टाटा कंसलटेंसी सर्विस के भी कई लोग शामिल हैं। इसी कंपनी के अंकुर झा का नाम भी सामने आया है और उसकी तलाश की जा रही है। विनोद के साथ रेलवे के और कौन-कौन से लोग इस खेल में लगे
हैं, इसका पता लगाया जा रहा है। मेन कंप्यूटर भी हो जाता था हैक AMMYY ADMIN AMMYY ADMIN व व TEAM VIEWER TEAM VIEWER साफ्टवेयर की मदद से पहले सेंटर के मेन कंप्यूटर के हैक किया जाता था और फिर
अभ्यर्थी के कंप्यूटर का नंबर आता था। संयोगिता इंस्टीट्यूट के राधेश्याम से पूछताछ में पता चला कि उसका सेंटर सलेक्ट होने के बाद इंजीनियर विनोद ने उससे संपर्क किया। उसने अपने नेटवर्क के बारे
में बताया और संस्थान के कंप्यूटर्स पर दोनों शेयरिंग साफ्टवेयर को अपलोड करवाया। साफ्टवेयर की वजह से काम काफी आसान हो गया। बायोमैट्रिक अटेंडेंस की वजह से किसी दूसरे को बैठाकर परीक्षा दिलाना
मुमकिन नहीं था। इस वजह से यह रास्ता चुना गया। वाट्सएप से बताया गया था यूजर नेम अभ्यर्थियों ने एग्जाम स्टार्ट होने के ठीक पहले ही अभ्यर्थियों को यूजर नेम व पासवर्ड मिलता था। इसे वाट्सएप के
जरिए सॉल्वर तक पहुंचा दिया जाता था। इसके बाद सारा खेल ऑनलाइन होने लगता था। शेयरिंग साफ्टवेयर से सॉल्वर के कंप्यूटर पर अभ्यर्थी का स्क्रीन नजर आने लगता था। एसटीएफ ने मौके से कई स्क्रीन शॉट भी
लिए हैं। तीनों पालियों में कराई जाती थी नकल रेलवे की ऑनलाइन परीक्षा तीन पालियों में सुबह नौ से 10.30, दोपहर 12.30 से दो बजे तथा शाम चार से 5.30 बजे के बीच होती है। सीओ एसटीएफ प्रवीण सिंह
चौहान के मुताबिक तीनों पोलियों की परीक्षा में नकल कराई जाती थी। अभ्यर्थियों को रंगे हाथ पकड़ा जाना जरूरी था। इस वजह से दोपहर की पाली पर पूरा ध्यान लगाया गया और ऑनलाइन नकल कराने के रैकेट का
भंडफोड़ हो गया। बीमारी के नाम पर ली थी छुट्टी विनोद ने रेलवे का ऑनलाइन एग्जाम शुरू होने के बाद बीमारी के नाम पर छुट्टी ले ली थी। सीओ के मुताबिक वह छुट्टी लेकर केवल सेटिंग के काम में ही लगा
था। उसके बारे में रिपोर्ट रेलवे के जीएम व आरआरबी के चेयरमैन को भेज दी गई है। यह पता लगा है कि विनोद ने चौफटका के पास बंगला बना रखा है। रेलवे भी विनोद की संपत्तियों के बारे में जानकारी जुटा
रही है। सारे सुबूत आरआरबी को भेजे गए दोपहर में जैसे ही तेलियरगंज में रेड डाली गई, सारे सुबूत की फोटो ली गई। वाट्सएप के जरिए आरआरबी के चेयरमैन को प्रश्नपत्र व कंप्यूटर की फोटो भेज दी गई। उनसे
पूछा गया था कि यह बताएं कि कंप्यूटर पर दिखे सवाल एग्जाम में पूछे गए थे कि नहींसाफ्टवेयर की मदद से पहले सेंटर के मेन कंप्यूटर के हैक किया जाता था और फिर अभ्यर्थी के कंप्यूटर का नंबर आता था।
संयोगिता इंस्टीट्यूट के राधेश्याम से पूछताछ में पता चला कि उसका सेंटर सलेक्ट होने के बाद इंजीनियर विनोद ने उससे संपर्क किया। उसने अपने नेटवर्क के बारे में बताया और संस्थान के कंप्यूटर्स पर
दोनों शेयरिंग साफ्टवेयर को अपलोड करवाया। साफ्टवेयर की वजह से काम काफी आसान हो गया। बायोमैट्रिक अटेंडेंस की वजह से किसी दूसरे को बैठाकर परीक्षा दिलाना मुमकिन नहीं था। इस वजह से यह रास्ता चुना
गया। वाट्सएप से बताया गया था यूजर नेम अभ्यर्थियों ने एग्जाम स्टार्ट होने के ठीक पहले ही अभ्यर्थियों को यूजर नेम व पासवर्ड मिलता था। इसे वाट्सएप के जरिए सॉल्वर तक पहुंचा दिया जाता था। इसके
बाद सारा खेल ऑनलाइन होने लगता था। शेयरिंग साफ्टवेयर से सॉल्वर के कंप्यूटर पर अभ्यर्थी का स्क्रीन नजर आने लगता था। एसटीएफ ने मौके से कई स्क्रीन शॉट भी लिए हैं। तीनों पालियों में कराई जाती थी
नकल रेलवे की ऑनलाइन परीक्षा तीन पालियों में सुबह नौ से क्0.फ्0, दोपहर क्ख्.फ्0 से दो बजे तथा शाम चार से भ्.फ्0 बजे के बीच होती है। सीओ एसटीएफ प्रवीण सिंह चौहान के मुताबिक तीनों पोलियों की
परीक्षा में नकल कराई जाती थी। अभ्यर्थियों को रंगे हाथ पकड़ा जाना जरूरी था। इस वजह से दोपहर की पाली पर पूरा ध्यान लगाया गया और ऑनलाइन नकल कराने के रैकेट का भंडफोड़ हो गया। बीमारी के नाम पर ली
थी छुट्टी विनोद ने रेलवे का ऑनलाइन एग्जाम शुरू होने के बाद बीमारी के नाम पर छुट्टी ले ली थी। सीओ के मुताबिक वह छुट्टी लेकर केवल सेटिंग के काम में ही लगा था। उसके बारे में रिपोर्ट रेलवे के
जीएम व आरआरबी के चेयरमैन को भेज दी गई है। यह पता लगा है कि विनोद ने चौफटका के पास बंगला बना रखा है। रेलवे भी विनोद की संपत्तियों के बारे में जानकारी जुटा रही है। सारे सुबूत आरआरबी को भेजे गए
दोपहर में जैसे ही तेलियरगंज में रेड डाली गई, सारे सुबूत की फोटो ली गई। वाट्सएप के जरिए आरआरबी के चेयरमैन को प्रश्नपत्र व कंप्यूटर की फोटो भेज दी गई। उनसे पूछा गया था कि यह बताएं कि कंप्यूटर
पर दिखे सवाल एग्जाम में पूछे गए थे कि नहीं?? हालांकि इसका जवाब शनिवार शाम तक एसटीएफ को नहीं मिला था। -------- इन पदों के लिए हो रहा एग्जाम ट्रैफिक असिस्टेंट स्टेशन मास्टर जूनियर स्टेशन
मास्टर एकाउंटेंट जूनियर एकाउंटेंट --------- ख्म्, ख्7 व फ्0 अप्रैल को होने वाले एग्जाम के प्रवेश पत्र भी एसटीएफ को मिले --------- कैसे चल रहा था खेल कंडीडेट से एक से दो लाख रुपए तक एडवांस
लिए जाते थे एडवांस मिलने के बाद ही सेंटर पर सेटिंग की जाती थी अभ्यर्थी को कौन सा कंप्यूटर मिलने वाला है, यह पता लगाकर साफ्टवेयर अपलोड किया जाता था हर सॉल्वर को ख्भ् से फ्0 हजार रुपए दिए जाते
थे कंडीडेट लाने वाले को भी टोटल रकम का ख्भ् से फ्0 परसेंट दिया जाना था बची हुई रकम अभ्यर्थियों को सलेक्शन के बाद देनी थी