
देने के लिए ज्ञान लेते हैं दान
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BY: INEXTLIVE | Updated Date: Mon, 07 Sep 2015 11:56:24 (IST) एक ऐसा गुरु जो ज्ञान के साथ बांटता है कॉपी, किताब व बैग भी गरीब व पिछड़े बच्चों की मदद को सक्षम लोगों से लेता है दान VARANASI
समाज के रंग ढंग के साथ ज्ञान बांटने वाले गुरुजी ने भी अपना चोला बदल दिया है। अब वो न तो बच्चों को योग्य बनाने में अपनी भूमिका का निर्वहन कर रहे हैं और न ही वो अपनी गरिमा के अनुरुप व्यवहार कर
रहे हैं। जिसका नतीजा है कि सोसाइटी में गुरु की महिमा धीरे-धीरे घट रही है। इतने के बावजूद समाज में आज भी ऐसे टीचर हैं जो गुरु के सम्मान को बरकरार रखने के लिए अपना सबकुछ दांव पर लगा दिए हैं।
उन्हें लोगों से दान लेने में भी कोई गुरेज नहीं है। उनका मकसद सिर्फ सब पढ़ें, सब बढ़ें है। यही वजह है कि वे गरीब व पिछड़े स्टूडेंट्स को शिक्षित करने के लिए समाज के सक्षम लोगों से कॉपी, किताब
व बैग दान में लेते हैं। ऐसे ही टीचर्स में शामिल हैं महाबोधि इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ। बेनी माधव। वो कॉलेज के गरीब बच्चों को दान में मिले सामानों से हेल्प करते हैं। ताकि बच्चे कॉपी, किताब व
बैग के अभाव में पढ़ाई बंद न करें। ताकि कर सकें पढ़ाई हमारे आसपास बहुत सारे बच्चों के पेरेंट्स की माली हालत ठीक न होने के कारण वे आगे की पढ़ाई नहीं कर पाते हैं। कई बार तो एडमिशन के बाद बीच
में पढ़ाई बंद कर देते हैं। ऐसे ही बच्चों की पीड़ा को डॉ। बेनी माधव ने समझा और अपनी सैलरी के पैसे से सन् ख्0क्फ्-क्ब् में कुछ को कॉपी, किताब व बैग उपलब्ध कराया। उनको पढ़ते बढ़ते देख बेनी माधव
ने इस मुहिम को आगे बढ़ाने का मन बनाया। यहां तक कि इसके लिए उन्होंने कॉलेज फंड व सक्षम लोगों से दान में कॉपी, किताब व बैग लेना स्टार्ट किया। जो आज मकसद को कामयाब बनाने की ओर बढ़ रहा है। बचपन
से मिली प्रेरणा कॉलेज के गरीब व पिछड़े बच्चों के लिए कॉपी, किताब व बैग की व्यवस्था करने की प्रेरणा डॉ। बेनी माधव को अपने बचपन में घटी एक घटना से मिली। राष्ट्रपति पुरस्कार लेने के लिए दिल्ली
गए डॉ। बेनी माधव ने फोन पर बताया कि किसान परिवार में जन्म लेने के कारण मुझे बचपन में पढ़ाई के समय पांच कॉपियों की डिमांड पर एक कॉपी मिलती थी। यही हाल किताब व अन्य सामानों के साथ भी रहा। यह
दर्द हमें हमेशा सालता रहा। कॉलेज में मौका मिलते ही गरीब बच्चों के लिए कॉपी, किताब व अन्य सामान की व्यवस्था करने में जुट गया। जिसमें हमारा साथ कॉलेज के अन्य टीचर्स के अलावा अपने बच्चों का
एडमिशन कराने कॉलेज आने वाले सक्षम पेरेंट्स ने दिया। इससे अब तक हजारों स्टूडेंट्स की हेल्प हो चुकी है।