
चौपालः जल बिन कल
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हर साल विश्व जल दिवस मनाने का उद्देश्य समस्त विश्व को पेयजल की उपलब्धता और जल संरक्षण के महत्त्व के प्रति जागरूक करना है। हम सब जानते हैं कि पृथ्वी की 75 प्रतिशत सतह जल से घिरी हुई है लेकिन
इसका 97 प्रतिशत जल समुद्री है और पीने योग्य जल केवल तीन प्रतिशत है। आज जिस गति से हम पानी का बिना सोचे-समझे उपयोग कर रहे हैं उससे वह दिन दूर नहीं जब हम और हमारी भावी पीढ़ी एक-एक बूंद के लिए
तरसें। जैसे-जैसे गर्मी नजदीक आ रही है, सूखाग्रस्त और रेगिस्तानी इलाकों में लोगों को पानी की चिंता सताए जा रही है।
आज चाहे शहर हो या गांव, हर जगह स्वच्छ जल की किल्लत है। विडंबना देखिए कि जहां जल की पर्याप्त उपलब्धता है वहां लोग इसके संरक्षण के प्रति गंभीर नहीं हैं। गर्मियों में जल की अधिक जरूरत केवल मानव
को नहीं, अन्य वन्य प्राणियों और पशु-पक्षियों को भी होती है। लिहाजा, हमारा दायित्व बनता है कि अपने साथ उनके लिए भी पर्याप्त पानी का प्रबंध करें। लेकिन यह तभी संभव होगा जब हम स्वयं जल संरक्षण
के प्रति जागरूक होंगे। चुनावी मौसम में नेताओं द्वारा अनेक लोकलुभावन वादे और जुमले उछाले जा रहे हैं लेकिन पर्यावरण और जल संरक्षण की ओर किसी का ध्यान नहीं जा रहा। अब स्वयं जनता को ही जागरूक
होना होगा।
हम अपनी दिनचर्या में पानी की बर्बादी रोक कर और बरसाती पानी का पर्याप्त भंडारण करके इसका उपयोग दूसरे मौसम में कर सकते हैं। तालाबों और बावड़ियों की उचित देखरेख कर वर्षा जल का संरक्षण कर जल संकट
को थोड़ा कम किया जा सकता है। घरों की छतों से पाइप लगा कर बरसात के पानी को कुंडी (जमीन के अंदर कमरा) में संरक्षित किया जा सकता है। अधिकांशत: हमारे समाज में भ्रांति व्याप्त है कि बरसात का पानी
पीने योग्य नहीं होता और इस तरह सारा वर्षा जल हम व्यर्थ बहा देते हैं जबकि वैज्ञानिकों के अनुसार वह जल शुद्ध व पीने योग्य होता है। मानसून की पहली बारिश के जल को संरक्षित नहीं करना चाहिए
क्योंकि उसमें छतों पर जमी धूल व कचरा होता है। हम सभी को मिलकर पानी का दुरुपयोग को रोकना होगा। हमें नहीं भूलना चाहिए कि बिना जल नहीं है कल!’श्रीनिवास पंवार बिश्नोई, नोखा, राजस्थान
झारखंड बोर्ड (JAC) 12वीं कक्षा के कॉमर्स और साइंस स्ट्रीम का परिणाम 31 मई 2025 को सुबह 11:30 बजे घोषित करेगा। छात्र आधिकारिक वेबसाइट jacresults.com, डिजिलॉकर और Jansatta.com पर परिणाम देख
सकते हैं।