मुख्य जांचकर्ता तारिक खोसा ने किया खुलासा: पाक ने ही कराया था मुंबई हमला

मुख्य जांचकर्ता तारिक खोसा ने किया खुलासा: पाक ने ही कराया था मुंबई हमला


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मुंबई आतंकी हमले के मुख्य जांचकर्ता तारिक खोसा ने इस बात का खुलासा किया है कि मुंबई हमले की साजिश पाकिस्तान में ही रची गई थी और अभियान भी इसी देश से छेड़ा गया। खोसा ने कहा कि इस अभियान को


निर्देश कराची स्थित आपरेशन रूम से दिए गए थे।


मुंबई हमले के कुछ हफ्तों बाद संघीय जांच एजंसी (एफआइए) के प्रमुख बनाए गए शीर्ष पुलिस अधिकारी तारिक खोसा ने ‘डान’ अखबार के लिए लिखे एक सनसनीखेज लेख में हमले की साजिश और इसकी जांच के बारे में


विस्तृत जानकारी दी। इससे उस बात की पुष्टि हुई है जो भारत लंबे समय से कह रहा है।


पाकिस्तान सरकार और इंटरपोल में शीर्ष पदों पर रह चुके और वर्ष 2007 में पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या मामले में आपराधिक जांच शुरू करने वाले खोसा ने लिखा है-‘पाकिस्तान को मुंबई हमले


से निपटना होगा जिसकी साजिश उसकी जमीन पर रची गई और अभियान भी यहीं से चलाया गया। इसके लिए सच का सामना करने और गलतियां स्वीकारने की जरूरत है।’


खोसा ने मांग की कि पाकिस्तान की सरकारी सुरक्षा मशीनरी को सुनिश्चित करना चाहिए कि ‘घातक आतंकी हमलों’ के हमलावरों और साजिशकर्ताओं को सजा मिले। उन्होंने कहा कि यह मामला लंबे समय से अटका हुआ है


और प्रतिवादियों की ओर से देर करने की नीति, सुनवाई करने वाले न्यायाधीश का बार-बार बदलना, मामले के अभियोजक की हत्या और कुछ अहम गवाहों का गवाही से पलटना अभियोजकों के लिए गंभीर झटके हैं।


इस मामले के तथ्य पेश करते हुए खोसा ने लिखा है-‘पहली बात, अजमल कसाब पाकिस्तानी नागरिक था, जिसके रहने के स्थान, शुरुआती पढ़ाई-लिखाई और एक प्रतिबंधित आतंकी संगठन में उसके शामिल होने के बारे में


जांचकर्ताओं ने सबूत जुटाए। दूसरी बात, लश्कर ए तैयबा के आतंकवादियों को सिंध के थट्टा के पास प्रशिक्षण दिया गया और वहां से समुद्र मार्ग से उन्हें भेजा गया।


जांचकर्ताओं ने प्रशिक्षण शिविर की पहचान कर ली थी और उसका पता लगा लिया था। तीसरी बात, आतंकवादी जिस एक भारतीय नाव से मुंबई पहुंचे, उन्होंने उसका अपहरण करने के लिए जिस मछली पकड़ने वाली नाव का


इस्तेमाल किया, उसे बंदरगाह पर वापस लाया गया। इसके बाद इसे रंगा गया और छिपाया गया।


जांचकर्ताओं ने इस नाव को बरामद कर लिया और इसे आरोपियों से जोड़ा। चौथी बात, आतंकवादियों द्वारा मुंबई बंदरगाह के पास छोड़ी गई पेटेंट नंबर वाली नौका के इंजन से जांचकर्ताओं ने पता लगाया कि इसे


जापान से आयात करके लाहौर और फिर कराची स्पोर्ट्स शॉप पर लाया गया जहां से लश्कर ए तैयबा से जुड़े आतंकवादी ने इसे नौका के साथ खरीदा।’


खोसा ने कहा कि मुंबई हमले में इस्तेमाल किए गए विस्फोटक उपकरणों के आवरण इस प्रशिक्षिण शिविर से बरामद हुए और उनका मिलान भी हो गया।


मुख्य जांचकर्ता ने लिखा है कि कराची में जिस अभियान कक्ष से अभियान को निर्देश दिए गए, उसकी भी पहचान हो गई और जांचकर्ताओं ने उसका पता लगाया। इंटरनेट प्रोटोकॉल पर आवाज के जरिए संवाद का भी पता


लग गया। खोसा बताते हैं कि कथित कमांडर और उसके सहयोगियों की भी पहचान करके उन्हें गिरफ्तार किया गया। इसके अलावा विदेश स्थित कुछ फाइनेंसरों और मददगारों को गिरफ्तार करके सुनवाई का सामना कराने के


लिए लाया गया।


खोसा ने पाकिस्तान सरकार से अच्छे और बुरे तालिबान के बीच अंतर खत्म करने के लिए भी कहा है। उनका कहना है कि अच्छे और बुरे तालिबान के बीच दोहरेपन और भेद को मिरामशाह से मुरीदके और कराची से क्वेटा


तक खत्म किया जाना चाहिए।


मुंबई हमले की जांच पर विस्तार से बताते हुए खोसा ने कहा कि भारतीय पुलिस अधिकारियों के साथ कई जांच दस्तावेजों की अदला-बदली करने के बाद निचली अदालत से रिकार्ड की गई आवाज से तुलना के लिए कथित


कमांडर और उसके सहयोगियों की आवाज के नमूने लेने की मंजूरी देने का अनुरोध किया गया। खोसा ने कहा-‘अदालत ने आदेश दिया कि आरोपियों की रजामंदी ली जाए। जाहिर तौर पर, संदिग्धों ने इनकार कर दिया।


इसके बाद रजामंदी नहीं मिलने के बावजूद आवाज के नमूने लेने के लिए जांचकर्ताओं को अधिकृत करने को लेकर एक सत्र अदालत में एक याचिका दायर की गई। उस समय लागू साक्ष्य अधिनियम या आतंकवाद निरोधक कानून


में इस तरह का कोई प्रावधान नहीं होने के चलते अनुरोध ठुकरा दिया गया। इसके बाद जांचकर्ता अपील करने हाईकोर्ट गए। मुझे लगता है कि वह अपील अब भी लंबित है।


खोसा ने मुंबई हमले को ‘अद्वितीय’ मामला बताया, क्योंकि यह एक ऐसी घटना है जिसमें दो क्षेत्राधिकार शामिल हैं और दो जगह सुनवाई भी हो रही है। उन्होंने राय दी कि दोनों पक्षों के कानूनी विशेषज्ञों


को एक दूसरे पर अंगुली उठाने के बजाय एक साथ बैठने की जरूरत है।


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