पंजाब को सुप्रीम कोर्ट का झटका, कहा- जोड़ नहर में कोई बदलाव न किया जाए

पंजाब को सुप्रीम कोर्ट का झटका, कहा- जोड़ नहर में कोई बदलाव न किया जाए


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पंजाब को झटका देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सतलज-यमुना संपर्क (एसवाइएल) नहर के लिए निर्धारित जमीन पर यथास्थिति कायम रखने का निर्देश दिया है। दरअसल हरियाणा ने पंजाब पर आरोप लगाया है कि जमीन को


समतल कर इसके उपयोग में बदलाव करने की कोशिश की गई है। अदालत ने अपने अंतरिम आदेश में मामले की अगली सुनवाई की तारीख 31 मार्च तय की है। तब तक केंद्रीय गृह सचिव, पंजाब के मुख्य सचिव एवं पुलिस


महानिदेशक (डीजीपी) को एसवाइएल नहर के लिए रखी गई जमीन और अन्य परिसंपत्ति का ‘संयुक्त रिसीवर’ नियुक्त किया गया है। न्यायमूर्ति एआर दवे की अध्यक्षता वाले पांच जजों की एक संविधान पीठ ने गुरुवार


को एक तल्ख टिप्पणी के साथ आदेश दिया- इस अदालत के आदेश के कार्यान्वयन को रोकने की कोशिश की जा रही है और यह अदालत मूक दर्शक बनी नहीं रह सकती। शीर्ष अदालत ने हरियाणा सरकार द्वारा दायर एक फौरी


अर्जी पर यह आदेश जारी किया। अर्जी में हरियाणा सरकार ने दलील दी है कि 14 मार्च को पंजाब विधानसभा ने विवादास्पद एसवाइएल नहर के निर्माण के खिलाफ एक विधेयक पारित कर जमीन का मालिकाना हक वापस


भूस्वामियों को मुफ्त में हस्तांतरित करने का रास्ता साफ किया है। संविधान पीठ में न्यायमूर्ति दवे के साथ न्यायमूर्ति पीसी घोष, न्यायमूर्ति शिवकीर्ति सिंह, न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और


न्यायमूर्ति अमितव राय भी थे। केंद्र की तरफ से महान्यायवादी रंजीत कुमार, पंजाब की तरफ से राम जेठमलानी और राजीव धवन, हरियाणा की तरफ से श्याम दीवान और सूबे के महाधिवक्ता बलदेव राज महाजन व


हिमाचल की तरफ से जेएस अत्री ने पक्ष रखा। जजों ने कहा कि सतलज-यमुना जोड़ नहर की जमीन, कार्य, संंपत्ति और हिस्से व पंजाब राज्य के क्षेत्र में आने वाला एसवाइएल नहर के टुकड़े का भूक्षेत्र, जो


सुप्रीम कोर्ट के 2002 के निर्णय से आच्छादित है, उस पर सभी पक्ष यथास्थिति बनाए रखेंगे। साथ ही केंद्रीय गृह सचिव, पंजाब के मुख्य सचिव व पुलिस महानिदेशक की तीन सदस्यीय साझा रिसीवर समिति उपरोक्त


वर्णित समस्त संपत्ति की देख-रेख करेगी। यथास्थिति बनाए रखने का जिम्मा भी इसी रिसीवर समिति का होगा। हरियाणा सरकार की अर्जी पर प्रतिवादी अपना जवाबी हलफनामा 28 मार्च तक दाखिल कर सकते हैं। इससे


पहले बुधवार को जोड़ नहर में पंजाब के किसानों और अकालियों ने भराई का काम शुरू कर दिया था। संबंधित विधेयक पर पंजाब के राज्यपाल की मुहर लगने से पहले ही यह काम शुरू कर दिया गया। इस बारे में राज्य


सरकार ने कोई अधिसूचना भी नहीं जारी की है। नहर में भराई के काम में सभी दल शामिल रहे और इसे लेकर सियासत करने की होड़ लगी रही। बुधवार को रोपड़ के गांव ढक्की, गड़डले, इंदरपुर, सैनी माजरा, लाडल,


घनौली, मकौड़ी, कन्नूर, माजरी जट्टां, मानपुर के अलावा किरतपुर साहिब व मोरिंडा के भी कई गांवों में किसानों को नहर में मिट्टी भरते देखा गया। रोपड़ के उपायुक्त करणेश शर्मा ने इन किसानों को कानून


हाथ में नहीं लेने की गुहार लगाते हुए कहा था कि सरकार ने इसके लिए अधिसूचना अभी जारी नहीं की है। पटियाला से कांग्रेस विधायक परनीत कौर और पंजाब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष चरणजीत सिंह चन्नी भी


एसवाइएल में मिट्टी भराई का जायजा लेने पटियाला के कपूरी पहुंचे थे जहां 8 अप्रैल, 1982 को तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने नहर खुदाई का बाकायदा लोकार्पण किया था। एक अभूतपूर्व


घटनाक्रम में हरियाणा की विपक्षी पार्टी इनेलोद के विधायक सतलुज यमुना लिंक नहर से जुड़े मुद्दे पर विरोध करते हुए यहां पड़ोसी राज्य पंजाब की विधानसभा में करीब करीब घुस गए। विपक्ष के नेता अभय सिंह


चौटाला और इनेलोद की राज्य शाखा के अध्यक्ष अशोक अरोड़ा के नेतृत्व में पार्टी के विधायकों ने पंजाब विधानसभा के द्वार पर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। इस समय पंजाब विधानसभा का सत्र चल रहा है।


सतलुज यमुना लिंक नहर (एसवाइएल) के निर्माण के लिए अधिग्रहीत 3,928 एकड़ भूमि को उनके वास्तविक मालिकों को सौंपने संबंधी विधेयक पंजाब विधानसभा द्वारा पारित किए जाने के विरोध में प्रदर्शन कर रहे


थे। इनेलोद के विधायकों और सुरक्षा कर्मियों के बीच पंजाब विधानसभा के बाहर झड़प हुई। पंजाब और हरियाणा की संयुक्त राजधानी चंडीगढ़ में एक ही परिसर में दोनों राज्यों की विधानसभाएं स्थित हैं। चौटाला


और उनके पार्टी के विधायक अपनी विधानसभा का सत्र चालू होने के दौरान ही पंजाब विधानसभा के मुख्य द्वार पर चले गए। इनलोद के विधायकों ने पंजाब और हरियाणा सरकार के विरोध में नारेबाजी की और विधेयक


वापस लिए जाने की मांग की। बाद में पत्रकारों से बात करते हुए चौटाला ने कहा, हमने पंजाब विधानसभा के अध्यक्ष चरनजीत सिंह अटवाल से उनके परिसर स्थित कमरे में मुलाकात की और सदन मेंइस विधेयक को


पारित करने पर अपना विरोध दर्ज कराया। चौटाला ने कहा, इस विधेयक के पारित होने से दोनों राज्यों के बीच नई लड़ाई शुरू हो जाएगी। हमने पंजाब को अपने बड़े भाई की तरह समझा है। लेकिन आज उन्होंने हमें


धोखा दिया। उन्होंने कहा, हरियाणा के लोगों का अब पंजाब पर भरोसा नहीं रहा…उन्होंने दो राज्यों के बीच के संबंध को समाप्त कर दिया है। चौटाला ने इस स्थिति को हरियाणा के इतिहास का ‘काला अध्याय’


करार दिया और कहा कि उनकी पार्टी इस लड़ाई को अंत तक लड़ती रहेगी। उन्होंने कहा, अगर जरूरत होगी, तो इनलोद अपने कार्यकर्ताओं को इस बात के लिए तैयार करेगी कि वे पंजाब की सीमा के भीतर जाकर


निर्माणाधीन एसवाइएल नहर की समतल की गई भूमि की फिर से खुदाई करें। उधर पंजाब विधानसभा ने सतलुज यमुना लिंक नहर पर हाल में एक विधेयक पारित किए जाने के विरोध में हरियाणा इनेलो विधायकों के


विधानसभा में ‘जबरदस्ती प्रवेश’ करने के प्रयास की निंदा करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया। इनेलो विधायकों के कृत्य की निंदा करते हुए संसदीय मामलों के मंत्री और भाजपा सदस्य मदन मोहन मित्तल ने एक


प्रस्ताव रखा जिसे सदन ने पारित कर दिया। विधानसभाध्यक्ष चरणजीत सिंह अटवाल ने बाद में अपने चैंबर में एक सर्वदलीय बैठक बुलाई जिसमें विरोध करने वाले इनेलो विधायक भी शामिल थे। इससे पहले शून्यकाल


में विपक्ष के नेता चरणजीत सिंह चन्नी और उनकी पार्टी के सहयोगी विधानसभाध्यक्ष के आसन के समक्ष पहुंच गए और आरोप लगाया कि विधानसभाध्यक्ष चरणजीत सिंह अटवाल उन्हें इस मुद्दे पर बोलने की इजाजत


नहीं दे रहे हैं। हंगामा होने के चलते विधानसभाध्यक्ष सदन की कार्यवाही आधे घंटे के लिए स्थगित करने के लिए बाध्य हुए। विधानसभाध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि वह अन्य कांग्रेसी सदस्यों को शून्यकाल के


दौरान विभिन्न मुद्दों को उठाने की इजाजत दे रहे हैं। सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू होने पर कांग्रेस विधायकों ने फिर एक बार विरोध किया। इस बार उन्होंने इनेलो विधायकों के कदम का विरोध किया।


विधानसभाध्यक्ष ने फिर सदन की कार्यवाही आधे घंटे के लिए स्थगित कर दी। कांग्रेस के सदस्य जब विरोध कर रहे थे उस समय विपक्षी और सत्ताधारी सदस्यों के बीच एसवाइएल नहर के मुद्दे पर नोकझोंक हुई।


शिरोमणि अकाली दल से कैबिनेट मंत्री सोहन सिंह थंडल ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के सदस्य खुद ही चन्नी को बोलने नहीं दे रहे हैं क्योंकि वे एक दलित नेता हैं। हालांकि कांगे्रस के अश्विनी सेखरी ने


जोर देकर कहा कि चन्नी उनके नेता हैं और भविष्य में भी रहेंगे।