Prc: जानिए उस सर्टिफिकेट के बारे में, जिसपर सुलग रहा है अरुणाचल प्रदेश

Prc: जानिए उस सर्टिफिकेट के बारे में, जिसपर सुलग रहा है अरुणाचल प्रदेश


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6 गैर आदिवासी समुदाय को परमानेंट रेजिडेंस सर्टिफिकेट (PRC) देने के प्रस्ताव से जुड़े अरुणाचल प्रदेश सरकार के फैसले पर राज्य में बड़ी हिंसा हुई है। हिंसक प्रदर्शनों में दो लोगों की मौत हो गई,


जबकि कई लोग घायल हो गए। दरअसल, पेमा खांडू की अगुआई वाली राज्य सरकार ने ऐलान किया था कि वह अरुणाचल के बाहर की 6 अनुसूचित जनजातियों यानी नॉन अरुणाचल शेड्यूल्ड ट्राइब्स को पीआरसी देने पर विचार


कर रही है। इसके बाद से ईटानगर और कुछ अन्य इलाकों में बड़ी पैमाने पर हिंसा की खबरें सामने आईं। शनिवार को कई इलाकों में अनिश्चितकालीन कफ्र्यू लगाया गया था। इसके बावजूद, प्रदर्शनकारियों ने


अरुणाचल प्रदेश के डिप्टी सीएम के आवास में आग लगा दी। इसके अलावा, राजधानी के डिप्टी कमिश्नर के दफ्तर में भी तोड़फोड़ की गई। ईटानगर और नाहरलगून में इंटरनेट सेवाएं भी बाधित रहीं। आइए समझते हैं


कि पूरा विवाद है क्या? इसके लिए सबसे पहले हमें यह जानना होगा कि आखिर Permanent resident certificate क्या है? दरअसल, यह भारतीय नागरिकों को जारी किया जाने वाला एक कानूनी दस्तावेज है, जिसे


निवास के सबूत के तौर पर देखा जाता है। इसके अलावा, सरकारी कामकाज में इसे निवास प्रमाण पत्र के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता है। राज्य में बीजेपी की अगुआई वाली सरकार नमसई और चैंगलैंग जिले में


रहने वाले 5 गैरआदिवासी समुदाय और विजयनगर में रहने वाले गोरखाओं को यह सर्टिफिकेट देने पर विचार कर रही है। ये समुदाय हैं, देअरी, सोनोवाल कचारी, मोरन, आदिवासी और मिशिंग। इनमें से अधिकतर


समुदायों को पड़ोसी असम में अनुसूचित जनजाति का दर्जा हासिल है। एक जॉइंट हाई पावर कमिटी (JHPC) ने संबंधित लोगों से विस्तार से विचार-विमर्श के बाद छह समुदायों को पीआरसी देने की सिफारिश की। इस


समुदाय के लोग अरुणाचल प्रदेश के बाशिंदे नहीं हैं, लेकिन नमसई और चैंगलैंग जिले में दशकों से रह रहे हैं। इस प्रोजेक्ट में रिजिजू पर लगा घोटाले का आरोप, जानिए क्या बोले  अब सवाल उठता है कि इस


फैसले का विरोध क्यों हो रहा है? दरअसल, अरुणाचल प्रदेश में विभिन्न स्थानीय समुदायों से जुड़े लोगों और संगठनों को ऐसा लगता है कि अगर यह प्रस्ताव पास हुआ तो स्थानीय लोगों के अधिकार और हितों को


नुकसान पहुंचेगा। जेएचपीसी का यह प्रस्ताव शनिवार को राज्य की विधानसभा में पेश होना था। ‘जवानों की शहादत पर जश्न मनाते हैं वापमंथी’, बोले रिजिजू हालांकि, प्रदर्शन के मद्देनजर इसे पेश नहीं किया


जा सका। स्पीकर ने विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी। उधर, केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को लोगों से अपील की कि वे शांति बरतें। इसके अलावा, केंद्रीय मंत्री


किरेन रिजीजू ने साफ किया कि राज्य सरकार पीआरसी पर बिल नहीं ला रही, बल्कि जेएचपीसी की रिपोर्ट पेश कर रही थी। रिजीजू के मुताबिक, इसका मतलब यह है कि राज्य सरकार ने इसे कबूल नहीं किया है। रिजीजू


ने यह भी कहा कि कांग्रेस खुद पीआरसी के लिए लड़ रही है लेकिन गलत तरीके से लोगों को भड़का रही है। बता दें कि जेएचपीसी की अगुआई नबम रेबिया कर रहे हैं। वह राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं।