
हरियाणा में भाजपा से ज्यादा जजपा के लिए परेशानी का सबब हो सकता है किसान आंदोलन, जानें क्या है वजह
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केंद्र सरकार के तीन नए कृषि बिलों के खिलाफ करीब दो सप्ताह से किसानों का प्रदर्शन जारी है। किसानों और सरकार के बीच इस मुद्दें पर पांच चरण में वार्ता हो चुकी है मगर कोई समाधान नहीं निकला।
किसानों ने सरकार से संसद का विशेष सत्र बुलाकर इन बिलों को वापस लेने की मांग की है। अपनी मांग के समर्थन में अन्नदाताओं ने आज यानी 9 दिसंबर को भारत बंद बुलाया है।
कृषि बिलों पर हरियाणा और पंजाब के किसान केंद्र सरकार के खिलाफ सबसे अधिक हमलावार हैं। इन सब के बीच जजपा प्रमुख और हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने किसान आंदोलन पर चुप्पी साध रखी
है। प्रदेशभर के लोग लगातार भाजपा और जजपा इस मुद्दे पर नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। हालांकि दुष्यंत के छोटे भाई दिग्विजय चौटाला और पिता अजय चौटाला किसान प्रदर्शन के चलते ‘डैमेज कंट्रोल’ की पूरी
कोशिश में जुटे हैं।
ऐसे में द इंडियन एक्सप्रेस ने ये जानने की कोशिश की है कैसे ये आंदोलन भाजपा से ज्यादा जजपा के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। राज्य में अब 2024 में विधानसभा चुनाव होने हैं और भाजपा और जजपा
दोनों पार्टियों का मानना है कि प्रदेश की जनता को लुभाने के प्रर्याप्त समय है। हालांकि ये देखना होगा कि हरियाणा की जनता इसे भुलाकर उन्हें माफ कर देगी!
इस साल अक्टूबर में किसानों ने सिरसा स्थित दुष्यंत के आवास के बाहर शिविर लगाने की कोशिश थी मगर पुलिस ने इसकी अनुमति नहीं दी। किसानों ने इसके बाद चौटाला के निवास से 200 मीटर की दूरी पर भूमान
शाह चौक पर डेरा डाला। हालांकि जजपा नेता कहते रहे हैं कि अगर किसान उनके घर आएंगे तो वो उनका स्वागत करेंगे, मगर उन्होंने ऐसा नहीं किया। वो चंडीगढ़ और उन्हें टेस्टिंग के दौरान कोविड-19 संक्रमण
की पुष्टि हुई।
इधर किसान इस बात का विरोध करते रहे कि दुष्यंत चौटाला को अपना मंत्री पद छोड़ देना चाहिए और केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का समर्थन करना चाहिए। इसके उलट वो कृषि कानूनों की
तारीफ करते रहे। उन्होंने विपक्ष पर किसानों को गुमराह करने का आरोप लगाया।
अब जब किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन करना शुरू किया तो दुष्यंत ने 26 तारीख से किसानों के लिए एक शब्द तक नहीं कहा। हालांकि पार्टी सूत्रों ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि दुष्यंत
चौटाला किसानों और केंद्र सरकार से बातचीत के बाद ही अपनी चुप्पी तोड़ेंगे। इस बीच पार्टी के अधिकतर विधायक किसानों के समर्थन में आने लगे हैं। ऐसी संभावना है कि अगर किसानों और सरकार के बीच
गतिरोध 9 दिसंबर के बाद भी जारी रहा तो कुछ विधायक सरकार से बाहर आ सकते हैं।
दुष्यंत चौटाला के करीबी सूत्रों ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि जाहिर है कि वो किसान आंदोलन पर कोई बयान नहीं दे रहे मगर वो इस मुद्दे पर किसान यूनियन के नेताओं के संपर्क में थे। पार्टी के
एक वरिष्ठ नेता ने अखबार को बताया कि किसान केंद्र से बातचीत के लिए दिल्ली गए हैं इसलिए इसमें राज्य सरकार की कोई भूमिका नहीं थी, गेंद मोदी सरकार के पाले में थी। इस तरह दुष्यंत चौटाला ने अभी तक
चुप्पी साधे रखी है और मामले के किसी निष्कर्ष तक पहुंचने के इंतजार में हैं।
हरियाणा में लोग भाजपा से ज्यादा जजपा से क्यों हैं नाराज, ऐसे समझिएभाजपा नेता मनोहर लाल खट्टर रोहतक जिले स्थित एक गांव के निवासी है और लोग अभी भी उन्हें ‘एक बाहरी’ व्यक्ति के रूप में देखते
हैं। शायद ऐसा 2014 से पहले सक्रिय राजनीति में उनकी अनुपस्थिति के कारण है। मगर दूसरी तरफ दुष्यंत चौटाला जो किसानों के सबसे बड़े नेता चौधरी देवी लाल के उत्तराधिकारियों में से एक हैं। क्योंकि
साल 2018 तक दुष्यंत भी INLD का हिस्सा थे। 2019 के विधानसभा चुनाव में हरियाणा का जनादेश भाजपा के खिलाफ था और महज 11 महीने पुरानी पार्टी जजपा ने राज्य में 87 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे और
10 सीटें जीत लीं।
चुनाव में जजपा ने चौधरी देवी लाल के नाम पर वोट मांगे, मगर बाद में जब भाजपा सरकार बनाने में असफल रही जजपा भगवा दल का समर्थन कर गठबंधन का हिस्सा बनी। जजपा की दलील थी कि सरकार में हिस्सा होने
के चलते वो लोगों से किए वादों को पूरा कर सकती है, मगर सरकार में शामिल होने के पहले दिन से विपक्ष लगातार जजपा के दुष्यंत पर लोगों को धोखा देने का आरोप लगाता रहा है।
राज्य के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कहना है कि किसान आंदोलन में उनकी बात सही साबित हुई है। उन्होंने कहा ‘वोट किसी की और सपोर्ट किसी की’, जजपा ने ऐसा ही किया है।
कैलाश विजयवर्गीय, मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री, महिलाओं पर विवादित बयान देकर फिर चर्चा में हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें छोटे कपड़े पहनने वाली लड़कियां पसंद नहीं हैं और वे अच्छी तरह से कपड़े
पहनने वाली महिलाओं को पसंद करते हैं। उन्होंने पहले भी ऐसे बयान दिए हैं, जिससे विवाद हुआ था। उनके इस बयान पर सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं।