
किसी भी विद्या को सीखने के लिए शुभ मानी जाती है यह तिथि
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हिंदू पंचांग में हर माह आने वाली आठवीं तिथि को अष्टमी कहा जाता है। यह तिथि मास में दो बार आती है। एक बार पूर्णिमा के बाद और दूसरी बार अमावस्या के बाद यह तिथि आती है। पूर्णिमा के बाद आने वाली
अष्टमी... Arpan लाइव हिन्दुस्तान टीम, meerutWed, 23 Sep 2020 02:26 AM Share Follow Us on __ हिंदू पंचांग में हर माह आने वाली आठवीं तिथि को अष्टमी कहा जाता है। यह तिथि मास में दो बार आती है।
एक बार पूर्णिमा के बाद और दूसरी बार अमावस्या के बाद यह तिथि आती है। पूर्णिमा के बाद आने वाली अष्टमी को कृष्ण पक्ष की अष्टमी और अमावस्या के बाद आने वाली अष्टमी को शुक्ल पक्ष की अष्टमी कहा
जाता है। इस तिथि पर मां दुर्गा की उपासना की जाती है। इस दिन मां दुर्गा का व्रत, पूजन करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। सुख, समृद्धि, संपन्नता की प्राप्ति होती है। अच्छे स्वास्थ्य का
आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन दुर्गा चालीसा का पाठ अवश्य करें। हिंदू पंचांग की आठवीं तिथि अष्टमी का विशेष नाम कलावती है। इस तिथि में कई तरह की कलाएं और विधाएं सीखना लाभकारी होता है।
मान्यता है कि इस तिथि में अभिनय, नृत्य, गायन आदि कला सीखने के लिए प्रवेश लेना शुभ होता है। यह तिथि चंद्रमा की आठवीं कला है। अष्टमी तिथि के स्वामी भगवान शिव माने गए हैं लेकिन अष्टमी तिथि मां
दुर्गा की शक्ति के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। शुक्ल पक्ष की अष्टमी में भगवान शिव का पूजन करना वर्जित है, लेकिन कृष्ण पक्ष की अष्टमी में भगवान शिव का पूजन करना उत्तम माना गया है। किसी भी पक्ष की
अष्टमी तिथि में नारियल का सेवन नहीं करना चाहिए। इस पावन तिथि पर लाल फूल, लाल चंदन, दीया, धूप आदि से विधि-विधान से मां की उपासना करें। इस दिन तामसिक भोजन का सेवन न करें। भोग विलासिता से दूर
रहें। रात्रि में जमीन पर शयन करें। _इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।_