
नया संकेतक बता देगा साइबर फ्रॉड का रिस्क लेवल, सुरक्षा और सत्यापन में आएगी तेजी
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इसके जरिए साइबर सुरक्षा और सत्यापन जांच में तेजी आएगी। उन नंबरों को पहचान तत्काल हो सकेगी, जिनका इस्तेमाल साइबर अपराधा या वित्तीय धोखाधड़ी में किया जा रहा है। दूरसंचार विभाग ने साइबर अपराध व
वित्तीय धोखाधड़ी को रोकने के लिए वित्तीय धोखाधड़ी जोखिम संकेतक (FRI) को साझा करने का ऐलान किया है। इसके जरिए साइबर सुरक्षा और सत्यापन जांच में तेजी आएगी। उन नंबरों को पहचान तत्काल हो सकेगी,
जिनका इस्तेमाल साइबर अपराधा या वित्तीय धोखाधड़ी में किया जा रहा है। यह संकेतक डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म के रूप में यह मल्टीफंक्शनल एनालिटकल इंस्ट्रेमेंट का काम करता है, जो साइबर धोखाधड़ी
की रोकथाम के लिए वित्तीय संस्थानों को सशक्त बनाता है। पेटीएम और गूगल पे ने भी अपने सिस्टम में डीपीआई अलर्ट जोड़ना शुरू कर दिया है। बुधवार को केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया
ने सोशल मीडिया इसको लेकर जानकारी साझा की। उन्होंने लिखा कि धोखाधड़ी वाले भुगतान के खिलाफ भारत का कवच पेश किया जा रहा है। मेरी टीम ने एफआरआई पेश किया है। यह वास्तविक समय में धोखाधड़ी का पता
लगाने और उसकी रोकथाम के लिए एक विश्लेषणात्मक उपकरण है। इससे डिजिटल पेमेंट किए जाने से पहले जोखिम भरे मोबाइल नंबरों की पहचान करने में मदद मिलेगी। यह पहल लाखों लोगों की सुरक्षा करेगी। यह हमारी
डिजिटल अर्थव्यवस्था को सुरक्षित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। ऐसे काम करेगा संकेतक डिजिटल इंटेलिजेंस यूनिट काटे गए मोबाइल नंबरों की सूची हितधारकों से साझा करती है। नंबर से जुड़े अपराध
की जानकारी एकत्र की जाती है। उसके बाद संदिग्ध मोबाइल नंबर का विश्लेषण किया जाता है। संबंधित नंबर जोखिम वर्गीकृत कर हितधारकों से साझा होगा सबसे पहले फोनपे पर अपनाया गया, जिसने इन नंबरों से
जुड़े लेनदेन को अस्वीकार किया। फोनपे ने ऑन-स्क्रीन अलर्ट देने में भी इसका उपयोग किया। मध्यम एफआरआई नंबरों के लिए फोनपे लेनदेन से पहले एक सक्रिय उपयोगकर्ता चेतावनी भी प्रदर्शित कर रहा है।
पेटीएम और गूगल पे ने भी अपने सिस्टम में डीपीआई अलर्ट जोड़ना शुरू कर दिया है।