
साहिबगंज के जंगलों में बनेगा हाथी कॉरिडोर
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वन विभाग ने जिले के पहाड़ी जंगलों में हाथी कॉरिडोर बनाने का निर्णय लिया है। इसके लिए डीएफओ डॉ. मनीष तिवारी ने शनिवार को विभाग को प्रस्ताव भेजा है। झारखंड बनने के बाद से हर साल हाथियों का झुंड
तांडव... वन विभाग ने जिले के पहाड़ी जंगलों में हाथी कॉरिडोर बनाने का निर्णय लिया है। इसके लिए डीएफओ डॉ. मनीष तिवारी ने शनिवार को विभाग को प्रस्ताव भेजा है। झारखंड बनने के बाद से हर साल
हाथियों का झुंड तांडव मचाता है। हाथी के हमले में पिछले कई सालों में एक दर्जन से अधिक लोगों की मौतें हो चुकी हैं। दर्जनों लोग घायल हो चुके हैं। सौ के आसपास मकानों को हाथी क्षतिग्रस्त कर चुके
हैं। हाथी कॉरिडोर कहां से कहां तक : वन विभाग के मुताबिक जिले में हाथी दो क्षेत्रों से प्रवेश करते हैं। पहला गोड्डा या पाकुड़ के रास्ते और दूसरा बिहार की सीमा से लालबथानी होकर। वन विभाग ने
लालबथानी, फुलभंगा, जोकमारी, बड़ा पचरूखी, बेतौना, घोघी, दुर्गाटोला, तेतरिया, दलदली, मुंडे पहाड़, भतभंगा, कैरासॉल, गोगा पहाड़, देवटिकरी पहाड़िया गांवों से होकर हाथी कॉरिडोर बनाने का निर्णय लिया
है। आमतौर पर पिछले कुछ सालों में हाथी का विचरण इसी इलाके में होता रहा है। पूर्व में साहिबगंज जिले में हाथी कॉरिडोर मंडरो से बोरियो और तालझारी तक चिह्नित है। अबतक यहां कोई खास व्यवस्था नहीं
हुई है। हाथी कॉरिडोर से पर्यटन को बढ़ावा : हाथी कॉरिडोर बनाए जाने से भविष्य में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। इसके लिए आवश्यक इंतजाम करना होगा। वन विभाग के अनुसार इससे पर्यटकों के आने से यहां
रोजगार के स्त्रोत बढ़ेंगे। दूसरी ओर हाथी से जान-माल का नुकसान कम होगा। हाथी कॉरिडोर के आसपास स्थित पहाड़िया गांवों के ग्रामीणों को हाथी भगाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। पुराने कॉरिडोर पर कोई काम
नहीं हुआ धनबाद: तीन हजार हेक्टेयर में फैले टुंडी पहाड़ में हाथियों के लिए कॉरिडोर बनाने की योजना धनबाद वन प्रमंडल ने बनाई थी। पांच साल की योजना में नौ करोड़ 55 लाख रुपए का बजटथा। दो साल पहले
वन विभाग के मुख्यालय द्वारा यह रिपोर्ट सरकार को भेजी गई, लेकिन आजतक फैसला नहीं हुआ। देवघर : हाथी कॉरिडोर बोकारो, धनबाद, गिरिडीह, जामताड़ा के रास्ते से देवघर जिले के सीमावर्ती मरगोमुंडा, करौं,
मधुपुर, चितरा, सारठ, पालाजोरी, सोनारायठाढ़ी, मोहनपुर प्रखण्ड होते हुए दुमका, गोड्डा आदि जिलों तक जाता है। कॉरिडोर में अभी कोई विशेष काम नहीं हुआ। पाकुड़ : जिले में अमड़ापड़ा और लिट्टीपाड़ा के
कुछ हिस्सों को चिह्नित किया गया है मगर हाथी कॉरिडोर के लिए काम कोई नहीं हुआ। बोकारो : हाथी कॉरिडोर जरीडीह के जुमरा से झुमरा पहाड़ तक गुजरता है। हाथी हर साल आते हैं मगर कॉरिडोर जैसा कोई काम
नहीं हुआ। गिरिडीह : हाथी कॉरिडोर सरिया, डुमरी, पीरटांड़ व गिरिडीह से गुजरता है। यहां भी योजना परवान नहीं चढ़ी है। जामताड़ा : जिले में हाथी के आने के दो कॉरिडोर हैं। पहला
नाला-कुंडहित-लाधना-धनबाद तथा दूसरा नारायणपुर-करमाटांड़-देवघर। इनपर कॉरिडोर जैसी व्यवस्थाएं नहीं की गई हैं। दुमका : हाथी कॉरिडोर गोड्डा के सुंदरपहाड़ी से दुमका जिला के रामगढ़ में प्रवेश करता है।
काठीकुंड, शिकारीपाड़ा, रानेश्वर, मसानजोर, मसलिया होते हुए जामताड़ा, देवघर और गिरीडीह का रास्ता पकड़ लेता है।