बच्चों का टैलेंट खत्म कर देती हैं मां-बाप और टीचर्स की ये गलतियां, भेड़ चाल में ही बीत जाता है जीवन

बच्चों का टैलेंट खत्म कर देती हैं मां-बाप और टीचर्स की ये गलतियां, भेड़ चाल में ही बीत जाता है जीवन


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PARENTING TIPS: हर बच्चे में एक टैलेंट छिपा होता है, जो कई बार कभी बाहर ही नहीं आ पाता। इसके पीछे मां-बाप और टीचर्स की कुछ बुरी आदतें जिम्मेदार हो सकती हैं। Anmol Chauhan लाइव


हिन्दुस्तानMon, 2 June 2025 02:36 PM Share Follow Us on __ बचपन सपनों का दौर होता है। यही वो समय होता है जब बच्चे अपनी कल्पनाओं की उड़ान पर होते हैं। वो नई-नई चीजों को सीखते हैं और अपने अंदर


के टैलेंट को पहचानते हैं। लेकिन कई बार पेरेंट्स और टीचर्स के सही मार्गदर्शन की कमी की वजह से बच्चों का ये टैलेंट कहीं दब सा जाता है। पेरेंट्स और टीचर चाहते हैं कि बच्चा सफल बनें, लेकिन


अधिकतर मामलों में उनके लिए सफलता की डेफिनेशन इंजीनियर, डॉक्टर, आईएएस या कोई और रेस्पेक्टेड जॉब मात्र है। पेरेंट्स और टीचर की इसी चाहत की वजह से बच्चों का इंट्रेस्ट और उनका खास हुनर कहीं पीछे


छूट जाता है। नतीजा यह होता है कि दुनिया को एक और टैलेंटेड पेंटर, लेखक, सिंगर या संगीतकार को खोना पड़ता है। चलिए जानते हैं पेरेंट्स और टीचर कैसे जाने-अनजाने में बच्चे के टैलेंट को कहीं दबा


देते हैं। सपनों को ‘करियर’ की नजर से तौलना अक्सर जब बच्चा डांस, पेंटिंग, म्यूजिक या किसी खेल में बहुत ज्यादा इंट्रेस्ट लेता है, तो पेरेंट्स इसे मात्र एक 'शौक' समझकर नजरअंदाज कर


देते हैं। ज्यादातर पेरेंट्स को लगता है कि इन सब चीजों से अच्छा करियर नहीं बन सकता। वहीं स्कूलों में भी खेल-कूद, आर्ट या म्यूजिक को पढ़ाई के मुकाबले कम महत्व दिया जाता है। पेरेंट्स और स्कूल


की इसी सोच से बच्चों को ये संकेत मिलता है कि वो जिन चीजों में इंट्रेस्ट ले रहे हैं, उसमें सिर्फ समय की बर्बादी हो रही है। दूसरों से तुलना और दबाव कई पेरेंट्स की आदत होती है कि वो हर बात में


अपने बच्चों की तुलना दूसरों से करते रहते हैं। देखो फलाने का बेटा कितनी पढ़ाई करता है या फलाने की बेटी ने परीक्षा में टॉप किया है। ऐसी कंपेरिजन वाली बातें बच्चों के आत्मविश्वास को कम कर देती


हैं। पेरेंट्स और टीचर जब बच्चों की तुलना दूसरों से करते हैं, तो बच्चे अपनी खासियत को पहचानने के बजाय खुद को दूसरों जैसा बनाने की कोशिश में लग जाते हैं। इससे उनकी खुद की सोच और क्रिएटिविटी


धीरे-धीरे खत्म हो जाती है। बच्चों को अवसर ना देना ज्यादातर पेरेंट्स की आदत होती है कि वो सिर्फ बच्चों की पढ़ाई में इंटरेस्ट लेते हैं और उसी के लिए फोर्स करते रहते हैं, जबकि क्रिएटिविटी से


जुड़ी चीजों में कोई खास इंटरेस्ट नहीं लेते हैं। वहीं स्कूलों में भी कला, खेल या अन्य क्रिएटिविटी से जुड़े अवसर बच्चों को नहीं दिए जाते। म्यूजिक क्लास को भी फालतू का पीरियड समझा जाता है और


ड्राइंग को खाली समय का काम। इस माहौल में बच्चे अपनी प्रतिभा को पहचान ही नहीं पाते और उन्हें लगता है कि ये सारी चीजें इंपॉर्टेंट नहीं है। डांट या फटकार भी है एक वजह बच्चों को जब ज्यादा डांट


या फटकार मिलती है, तब भी वो अपने अंदर के टैलेंट को अच्छे से नहीं पहचान पाते हैं। दरअसल कई बार बच्चे जब कुछ नया करने की कोशिश करते हैं, तो बदलें में उन्हें डांट, ताना या फटकार मिल जाती है।


ऐसे में अगली बार बच्चे कुछ भी नया करने से डरने लगते हैं। इस तरह ना तो वो कोई नई चीज सीख पाते हैं और ना ही अपने टैलेंट को समझ पाते हैं।