राहुल गांधी के 'लंगड़ा' शब्द पर पैरा स्विमर और पद्मश्री सतेंद्र सिंह लोहिया नाराज, स्पष्टीकरण मांगा

राहुल गांधी के 'लंगड़ा' शब्द पर पैरा स्विमर और पद्मश्री सतेंद्र सिंह लोहिया नाराज, स्पष्टीकरण मांगा


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लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने भोपाल में अपने भाषण में 'लंगड़ा' शब्द का इस्तेमाल किया। उनके इस शब्द पर अंतरराष्ट्रीय पैरा स्विमर और पद्मश्री से सम्मानित सतेंद्र सिंह


लोहिया ने आपत्ति जताई है। लोहिया ने कहा कि 'लंगड़ा' शब्द का इस्तेमाल दिव्यांगों के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाने वाला है। Subodh Kumar Mishra लाइव हिन्दुस्तान, ग्वालियरThu, 5 June


2025 07:47 PM Share Follow Us on __ लोकसभा में विपक्ष के नेता और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भोपाल में अपने भाषण में 'लंगड़ा' शब्द का इस्तेमाल किया।उनके इस बयान पर


अंतरराष्ट्रीय पैरा स्विमर और पद्मश्री से सम्मानित सतेंद्र सिंह लोहिया ने आपत्ति जताई है।राहुल गांधी के सार्वजनिक बयान पर नाराजगी जताते हुए लोहिया ने कहा कि 'लंगड़ा' शब्द का


इस्तेमाल दिव्यांगों के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाने वाला है। अंतरराष्ट्रीय पैरा स्विमर सतेंद्र लोहिया ने राहुल गांधी से इस शब्द के इस्तेमाल को लेकर स्पष्टीकरण मांगा है। राहुल गांधी के इसी बयान


को लेकर अंतरराष्ट्रीय पैरा स्विमर सतेंद्र लोहिया एक्स पर पोस्ट कर कहा कि आप देश के राष्ट्रीय स्तर के सम्माननीय राजनेता हैं। मैं व्यक्तिगत रूप से आपका लंबे समय से आदर करता आया हूं। मैं एक


अंतरराष्ट्रीय स्तर का पैरा स्विमर हूं और दिव्यांग हूं। इस देश का एक जिम्मेदार नागरिक भी हूं। कहा कि हाल ही में भोपाल में दिए गए आपके एक सार्वजनिक वक्तव्य में आपने 'लंगड़ा' शब्द का


प्रयोग किया, जिसे सुनकर मन अत्यंत आहत हुआ। यह शब्द न केवल असंवेदनशील है बल्कि दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 के अनुसार यह शब्दावली विलुप्त की जा चुकी है और कानूनी रूप से आपत्तिजनक मानी जाती


है। यह अधिनियम भारत की संसद द्वारा पारित किया गया है। इसके पीछे उद्देश्य यही था कि दिव्यांग जनों को समाज में सम्मान और गरिमा के साथ स्थान मिले। माननीय प्रधानमंत्री मोदी द्वारा हमें


'दिव्यांग' जैसा सकारात्मक शब्द दिया गया। यह हमारी क्षमताओं को दर्शाता है न कि हमारी चुनौतियों को। ऐसे में जब देश के किसी पार्टी के राष्ट्रीय नेता से इस प्रकार का असंवेदनशील शब्द


सुनने को मिलता है तो यह केवल एक व्यक्ति नहीं, पूरे दिव्यांग समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाता है। मैं नहीं जानता कि आपने किस संदर्भ में यह शब्द कहा, लेकिन मैं निवेदन करता हूं कि आप इस विषय


पर एक स्पष्टीकरण दें। कहा कि भविष्य में दिव्यांग जनों की भावनाओं का ध्यान रखते हुए इस प्रकार की भाषा के उपयोग से बचें। हम दिव्यांग लोग भी इस देश के नागरिक हैं। हमारा भी आत्मसम्मान है। हमारा


भी प्रतिनिधित्व है। हम केवल सहानुभूति नहीं, समान अधिकार और सम्मान की अपेक्षा रखते हैं। आपसे निवेदन है कि आप इस विषय को गंभीरता से लें और देश के करोड़ों दिव्यांग जनों की भावनाओं का सम्मान


करते हुए उचित प्रतिक्रिया दें। आपको बता दे ये बात राहुल गांधी ने 3 जून को भोपाल में जिला और ब्लॉक कांग्रेस के नेताओं के सम्मेलन में कही थी। राहुल ने कहा था अब रेस के घोड़े और बारात के घोड़े


अलग करने ही पड़ेंगे। रिपोर्टः अमित कुमार