Jnu में फिर उठी फिलिस्तीन के समर्थन में आवाज, टीचर्स-स्टूडेंट्स ने भारत सरकार से की यह मांग

Jnu में फिर उठी फिलिस्तीन के समर्थन में आवाज, टीचर्स-स्टूडेंट्स ने भारत सरकार से की यह मांग


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इस सभा के अंत में जेएनयू की इस समिति ने गाजा पट्टी में जारी हिंसा को रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई करने तथा संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों के अनुसार इजरायल को फिलिस्तीनी राज्य को मान्यता देने के


लिए बाध्य करने का आह्वान किया गया। Sourabh Jain पीटीआई, नई दिल्लीFri, 30 May 2025 08:57 PM Share Follow Us on __ नई दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में एक बार फिर


फिलिस्तीन के समर्थन में आवाज उठी है। इस दौरान शुक्रवार को जेएनयू की फिलिस्तीन सॉलिडेरिटी असेंबली ने एक कड़े शब्दों वाला प्रस्ताव पारित करते पिछले 20 महीनों से गाजा में इजरायल द्वारा जारी


हिंसक गतिविधियों की कड़ी निंदा की है। इस मौके पर वहां पारित किए गए प्रस्ताव में भारत सरकार से भी इजरायल के साथ घनिष्ठ संबंध बनाने की नीति को छोड़ने और फिलिस्तीन का समर्थन जारी रखने की अपील


की गई। फिलिस्तीन के साथ एकजुटता दिखाने के लिए आयोजित की गई इस सभा में विश्वविद्यालय के छात्र-छात्रा और शिक्षक दोनों शामिल हुए। सभा ने फिलिस्तीनी लोगों के साथ एकजुटता व्यक्त की और बड़े पैमाने


पर विपरीत परिस्थितियों के बावजूद अपने संघर्ष को जारी रखने के लिए उनके साहस और दृढ़ संकल्प की तारीफ की। इस मौके पर टीचर्स व स्टूडेंट्स द्वारा जो प्रस्ताव पारित किया गया, उसमें इजरायल पर नाजी


जर्मनी की तरह फाइनल सॉल्यूशन (आखिरी समाधान) जैसा ऑपरेशन चलाने के लिए दोषी बताया गया और जोर देकर कहा गया कि उसने कुकर्मों ने उसे सभ्य राष्ट्र माने जाने के अयोग्य बना दिया है। इस कार्यक्रम के


दौरान फिलिस्तीन एकजुटता समिति ने वहां हुए व्यापक विनाश और जानमाल की हानि पर प्रकाश डालते हुए, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की निष्क्रियता और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशो द्वारा इजरायल को


प्रत्यक्ष समर्थन देने की आलोचना की। इस मौके पर जारी एक बयान में कहा गया, 'फिलिस्तीन में जारी नरसंहार इजरायल को 'सभ्य राष्ट्रों' के समूह में गिने जाने के अधिकार को वापस लिए


जाने के लिए पर्याप्त है।' प्रस्ताव में भारत सरकार से इजरायल से दूरी बनाने तथा फिलिस्तीनी मुद्दे के प्रति अपने ऐतिहासिक समर्थन की पुनः पुष्टि करने का भी आग्रह किया गया। यहां पारित किए गए


प्रस्ताव में कहा गया, 'सभा विशेष रूप से भारत सरकार से इजरायल के साथ घनिष्ठ संबंध विकसित करने की नीति को खत्म करने और फिलिस्तीन पर भारत की दीर्घकालिक स्थिति को प्रभावी ढंग से बनाए रखने


तथा सभी प्रकार के नस्लवाद को अस्वीकार करने का आह्वान करती है, जो देश के अपने उपनिवेश-विरोधी संघर्ष की विरासत में निहित है। इस सभा के अंत में जेएनयू की इस समिति ने गाजा पट्टी में जारी हिंसा


को रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई करने तथा संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों के अनुसार इजरायल को फिलिस्तीनी राज्य को मान्यता देने के लिए बाध्य करने का आह्वान किया गया। वैसे पहला मौका नहीं है जब


जेएनयू में फिलिस्तीन के समर्थन में आवाज उठी हो, वहां पर समय समय पर फिलिस्तीन के प्रति एकजुटता दिखाने के लिए प्रदर्शन होते रहते हैं।