
खुशखबरी : दिल्ली में 2019 के बाद से जारी हुए सीलिंग नोटिस रद्द होंगे
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दिल्ली के रिहायशी इलाकों में सीलिंग की चपेट में आ चुके संपत्तिधारकों के लिए खुशखबरी है। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए आदेश के बाद दिल्ली के तीनों नगर निगमों (पूर्वी, उत्तरी और
दक्षिणी) ने... Shivendra Singh सज्जन चौधरी, नई दिल्लीMon, 17 Aug 2020 05:44 AM Share Follow Us on __ दिल्ली के रिहायशी इलाकों में सीलिंग की चपेट में आ चुके संपत्तिधारकों के लिए खुशखबरी है।
शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए आदेश के बाद दिल्ली के तीनों नगर निगमों (पूर्वी, उत्तरी और दक्षिणी) ने रिहायशी इलाकों में सील हो चुकी संपत्तियों को डी-सील करने की तैयारी कर ली है।
दिल्ली के विभिन्न रिहायशी इलाकों में लगभग 6 हजार रिहायशी संपत्तियां सील हैं। इन संपत्तियों को जल्द ही डी-सील करने की प्रक्रिया शुरु की जाएगी। इसके लिए अतिरिक्त 2019 के बाद से सीलिंग के लिए
जारी हुए नोटिस भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद रद्द माने जाएंगे। जिससे दिल्ली की हजारों संपत्तियों पर से सीलिंग की तलवार हट सकेगी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित मॉनिटिरिंग कमेटी ने वर्ष 2017 में
दिल्ली में फिर से सीलिंग के निर्देश दिल्ली के सभी स्थानीय निकायों को दिए थे। इसमें करीब 6 हजार ऐसी संपत्तियां हैं जो रिहायशी क्षेत्रों में हैं जिन्हें अवैध निर्माण या अतिरिक्त एफएआर लेने
पर सील किया गया था। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश के बाद दिल्ली में निजी भूमी पर बने सभी मकानों जिनको अवैध निर्माण बता मानिटरिंग कमेटी ने सील करवाया था उनकी सील खुलने का
रास्ता खुल गया है। इस आदेश के बाद रिहायशी मकानों का निर्माण वैध है या अवैध यह देखना मानीटरिंग कमेटी का काम नहीं रह गया है। इससे दिल्ली में रिहायशी मकानों को डी-सील करने की प्रक्रिया सोमवार
से शुरु हो सकेग। उल्लेखनीय है कि दिल्ली में रिहायशी संपत्तियों को इसलिए सील कर दिया था कि लोग ने पार्किंग के स्थान कुछ निर्माण कर लिया था या फिर फ्लोर पर अतिरिक्त कमरे बना लिए थे। मॉनिटरिंग
कमेटी नहीं लांघ सकती अधिकार गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए दिल्ली की आवासीय इकाइयों को डी-सील करने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अतिक्रमण चिंता
का विषय है लेकिन अनाधिकृत निर्माणों की पहचान करने और आवासीय संपत्तियों का दुरुपयोग रोकने के लिए 2006 में गठित निगरानी समिति अपने अधिकारों को लांघ कर कोई कार्रवाई नहीं कर सकती है। कोर्ट ने
कहा है कि कमेटी को केवल कॉमर्शियल कारणों के लिए आवासीय संपत्तियों के दुरुपयोग की जांच के लिए नियुक्त किया गया था लेकिन इसमें वैधानिक शक्तियां शामिल नहीं हो सकती थीं, क्योंकि अदालत ने इसे
स्वीकार नहीं किया था। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि रिहायशी मकानों का निर्माण वैध है या अवैध यह देखना निगरानी समिति का काम नहीं है। कोर्ट ने शुक्रवार को कहा था कि अगले तीन दिनों में सभी
सील रिहायशी मकानों को डी-सील करने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हम स्वागत करते हैं। सोमवार से दिल्ली के रिहायशी इलाकों में लगी सील को खोलने का काम नियमानुसार शुरु
हो जाएगा। सील खोलने से पहले निगम अधिकारी पूरी प्रक्रिया का पालन करेंगे और जल्द से जल्द लोगों को उनकी संपत्तियों का हक फिर से मिलेगा। - _जयप्रकाश जेपी, महापौर उत्तरी दिल्ली नगर निगम_