ऐतिहासिक पत्थर गिरजाघर की खूबसूरती पर जमी काई

ऐतिहासिक पत्थर गिरजाघर की खूबसूरती पर जमी काई


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PRAYAGRAJ NEWS - क्रिसमस के मौके पर अगर आप पत्थर गिरजाघर घूमने जा रहे हैं तो आपको निराशा होगी। इस ऐतिहासिक चर्च के दरवाजे आम जनता के लिए बंद हो चुके हैं। इस चर्च का इतिहास जितना ही वैभवशाली


रहा है वर्तमान उतना ही... Newswrap हिन्दुस्तान, इलाहाबादFri, 27 Dec 2019 05:07 PM Share Follow Us on __ क्रिसमस के मौके पर अगर आप पत्थर गिरजाघर घूमने जा रहे हैं तो आपको निराशा होगी। इस


ऐतिहासिक चर्च के दरवाजे आम जनता के लिए बंद हो चुके हैं। इस चर्च का इतिहास जितना ही वैभवशाली रहा है वर्तमान उतना ही खराब दौर से गुजर रहा। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्रभु यीशु के


जन्मोत्सव जैसे मौके पर भी यहां साफ सफाई नहीं दिखी। पूछने पर जिम्मेदार धनाभाव बताकर हाथ झाड़ लेते हैं। शहर के बीचोबीच सिविल लाइन्स में स्थित इस गिरजाघर की गिनती देश-दुनिया के महत्वपूर्ण


धरोहरों में होती है। संगमरमर व बलुआ पत्थर से निर्मित गिरजाघर की दीवारें काई से काली पड़ गयीं हैं। उनपर झाड़-फानूस उग आए हैं। क्रिसमस पर जहां शहर के सभी गिरजाघर जगमग हो रहे वहीं यहां दर्शकों


के प्रवेश पर पाबंदी है। यह संवाददाता किसी अंदर परिसर में गया तो वहां का नजारा दिल को दुखाने वाला था। बाहरी पार्क में चारो तरफ झाड़-झंखाड़ खड़े हैं, पेड़-पौधे की देखरेख नहीं है। लगता है कि


सालों से घास की कटायी छंटायी नहीं हुई, कभी इस पार्क की हरियाली दर्शकों को लुभाती थी। मुख्य गेट के बगल में छोटा सा कृत्रिम जलाशय है जिसका पानी बजबजा रहा व कमल के फूल सड़ रहे। वहीं लगे घंटे का


टनटन गायब है। कलाकृतियां औंधेमुंह पड़ी हैं। पूछने पर लोग बताते हैं कि यही आसपास बड़े-बड़े बंगलों में इस चर्च के प्रबंधकर्ता रहते हैं लेकिन कोई सुध नहीं लेता। क्रिसमस के दिन भी श्रद्धालु


निराश बदहाली के शिकार पत्थर गिरजाघर में पिछले दो सालों से क्रिसमस के दिन भी आमजन को प्रवेश नहीं दिया जा रहा। बुधवार 25 दिसंबर को सुबह कुछ घंटों के लिए चर्च का बाहरी हिस्सा खुला था और दोपहर


होते-होते गेट बंद हो गया। बिशप डॉ. पीटर बलदेव तर्क देते हैं कि सीएए को लेकर चल रहे आंदोलन की वजह से चर्च में प्रवेश नहीं दिया गया। फिर बताने लगे कि पिछले साल क्रिसमस के दिन खिड़की का शीशा


तोड़कर चोर पीतल का सामान उठा ले गए थे। प्रबंधकों की मंशा पर जानकार सवाल उठाते हैं, कहते हैं कि सुरक्षा एक बहाना है, जाकर देखें दूसरे बड़े गिरजाघरों में मेला सजा है। रखरखाव पर क्या कहते हैं


विशप पत्थर गिरजाघर के खराब रखरखाव पर बिशप डॉ. पीटर बलदेव कहते हैं कि यह हैरिटेज बिल्डिंग है। इसपर रंगरोगन नहीं कराया जा सकता। देखरेख की जिम्मेदारी एक कमेटी की है जिसका पास बजट नहीं है। सवाल


यह कि क्या इतना पैसा भी नहीं कि नियमित साफ सफाई हो सके? डॉ. पीटर कहते हैं कि बाईबिल में लिखा है कि चर्च के स्थायी सदस्य को अपने वेतन का दस फीसदी अंशदान देना चाहिए। बजट की कमी से पादरी के


वेतन के भुगतान तक में समस्या आ रही है। इनक्रिडिबल इंडिया व यूपी टूरिज्म इनक्रिडिबल इंडिया व यूपी टूरिज्म की साइट पर पत्थर गिरजाघर का नाम दर्ज है और इसकी मनोहारी तस्वीरें लगी हैं। पर्यटन के


अधिकारी कभी झांकने नहीं आते कि जिसके लिए पर्यटकों को निमंत्रित कर रहे वह किस दशा में है और क्या वहां दर्शकों को प्रवेश मिल रहा? इस गिरजाघर को ऑल सेंट कैथेड्रल के नाम से जाना जाता है। ब्रिटिश


आर्किटेक्ट सर विलियम इमर्सन ने इसकी डिजाइन 1871 में बनाई। 13 साल तक चले निर्माण कार्य के बाद 1884 में यह चर्च बनकर तैयार हुआ। सर विलियम ने ही कोलकाता स्थित विक्टोरिया मेमोरियल की डिजाइन


तैयार की थी।