Epf में अंशदान करने में नियोक्ताओं को मिली मार्च में छूट, लेकिन आपके ब्याज पर नहीं पड़ेगा असर

Epf में अंशदान करने में नियोक्ताओं को मिली मार्च में छूट, लेकिन आपके ब्याज पर नहीं पड़ेगा असर


Play all audios:


कोरोना वायरस महामारी के कारण नकदी संकट का सामना कर रहे प्रतिष्ठानों पर अनुपालन बोझ को कम करने के लिए यह कदम उठाया गया था। By SHASHANK SHEKHAR BAJPAI Edited By: SHASHANK SHEKHAR BAJPAI


Publish Date: Tue, 07 Jul 2020 04:09:29 PM (IST) Updated Date: Wed, 08 Jul 2020 02:31:31 PM (IST) कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने कंपनियों को मार्च 2020 के महीने में कर्मचारियों के


खातों में ईपीएफ अंशदान जमा करने में देरी करने की अनुमति दी थी। ईपीएफओ ने अलग से मार्च के लिए कंपनियों को इलेक्ट्रॉनिक चालान कम रिटर्न (ECR) दाखिल करने और वैधानिक ईपीएफ अंशदान का भुगतान करने


की अनुमति दी। कोरोना वायरस महामारी के कारण नकदी संकट का सामना कर रहे प्रतिष्ठानों पर अनुपालन बोझ को कम करने के लिए यह कदम उठाया गया था। ईपीएफ ग्राहकों के लिए इसका क्या अर्थ है और इससे भी


महत्वपूर्ण बात यह है कि कर्मचारियों के ईपीएफ खाते में नियोक्ता के योगदान को जमा करने में देरी के कारण ईपीएफ खातों पर अर्जित ब्याज का क्या होगा? दरअसल, EPF योजना के तहत नियोक्ता को हर महीने


की क्लोजिंग के 15 दिनों के भीतर ईपीएफ अंशदान जमा करना होता है। उदाहरण के लिए मार्च 2020 के महीने के लिए EPF योगदान को 15 अप्रैल तक जमा करना जरूरी है। मगर, EPFO ​​ने EPF अंशदान जमा करने की


तारीख को बढ़ा दिया था। मार्च 2020 के लिए ईपीएफ खातों में पैसा जमा करने की नियत तारीख को 15 अप्रैल 2020 की सामान्य समय-सीमा से बढ़ाकर 15 मई 2020 कर दिया गया था। यदि जमा राशि को 15 मई 2020 तक


ईपीएफ खातों में जमा नहीं किया गया, तो नियोक्ता 12 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से दंडनीय ब्याज भरने के लिए जबावदेह होगा। ईपीएफ खातों पर अर्जित ब्याज की ऐसे होगी गणना नियोक्ताओं को मार्च के महीने


के लिए ईपीएफ योगदान के जमा में देरी करने की अनुमति दी गई थी। लिहाजा, इससे कर्मचारियों के ईपीएफ राशि पर ब्याज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा? जानकार बताते हैं कि ईपीएफओ देय आधार पर सदस्य के खाते


में प्राप्त अंशदान पर ब्याज का भुगतान करता है। नियोक्ताओं को मार्च 2020 के वेतन के लिए योगदान का भुगतान करने में ग्रेस पीरियड की अनुमति दी गई है। योजना के पैरा 60 के अनुसार, देय आधार पर


मौजूदा फंड से ब्याज दिया जाता है। यदि मार्च 2020 के लिए योगदान का भुगतान 15 मई, 2020 को किया गया था, तो 1 मार्च 2020 मजदूरी माह के लिए के ब्याज की गणना 1 मई 2020 के अनुसार की जाएगी और देय


आधार पर ब्याज दिया जाएगा। सीधे शब्दों में, महामारी के कारण छूट के अनुसार एक नियोक्ता द्वारा ईपीएफ योगदान में देरी करने का मतलब यह नहीं है कि इससे कर्मचारियों के लिए अर्जित ब्याज की हानि


होगी। इसे इस तहर से समझ सकते हैं कि ईपीएफ योजना के तहत अप्रैल 2020 के लिए नियोक्ता को 15 मई 2020 तक ईपीएफ अंशदान जमा करना होगा। एक बार जब यह राशि कर्मचारी के खाते में जमा हो जाती है, तो उस


पर ब्याज की गणना एक जून 2020 से होगी। अगर नियोक्ता जमा ही न करे राशि नियोक्ता द्वारा ईपीएफ योगदान में देरी और अंशदान जमा न करने के नियम अलग हैं। यदि नियोक्ता अप्रैल 2020 के लिए ईपीएफ योगदान


में देरी करता है, तो कर्मचारी को अभी भी 1 जून, 2020 से ब्याज मिलेगा। अगर कोई नियोक्ता वित्तीय या अन्य मुद्दों के कारण ईपीएफ अंशदान जमा करने में चूक करता है और अंशदान जमा ही नहीं करता है, तो


तब तक कर्मचारी के खाते में उक्त अवधि के लिए कोई क्रेडिट नहीं होगा और उक्त समय के लिए कर्मचारी के खाते में कोई अंशदान पर कोई ब्याज भी नहीं मिलेगा। हालांकि, संचित शेष राशि पर ब्याज मिलना जारी


रहेगा।