Shahar live: गली-मुहल्ले में सब्जी और फल

Shahar live: गली-मुहल्ले में सब्जी और फल


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रायपुर। SHAHAR LIVE: सब्जी ले लो, सब्जी...। आलू-टमाटर 50 रुपये किलो। कुछ इस तरह की आवाज 10 दिनों बाद शहर की गली-मुहल्लों में सुनाई दी। आवाज सुनकर लोगों ने यूं राहत की सांस ली मानो कि उन्हें


अमृत मिल गया हो। लाकडाउन में मिली राहत के बाद सोमवार से शहर के गली-मुहल्लों में सब्जियाें और फलों के ठेले दिखाई दिए। फिर क्या था। लाकडाउन में मिली राहत के बीच कोरोना गाइडलाइन के सारे नियमों


की धज्जियां उड़ाने में लोगों ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। चेहरे पर बिना मास्क लगाए, शारीरिक दूरी के नियमों को ताक पर रखकर लोग कोरोना संक्रमण को न्योता देने में जुट गए। निगम के अधिकारियों से रहा


नहीं गया तो उन्होंने कुछ स्थानों पर सब्जी, फल बेचने वालों पर कार्रवाई की, लेकिन लोग मानने वाले कहां थे! एक स्थान से ठेले को हटाया तो दूसरे स्थान पर फिर लोगों का जमावड़ा लग गया। निजी अस्पतालों


की रंगदारी राजधानी रायपुर में कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए बनाए गए निजी अस्पतालों की रंगदारी देखने को मिल रही है। पहले तो संक्रमित मरीजों के स्वजनों से लाख रुपये भर्ती करवाते समय


जमा करवा लेते हैं। इसके बाद कभी 20 हजार तो कभी 50 हजार रुपये वसूले जा रहे हैं। ऊपर से सभी निजी अस्पताल वाले इस समय मरीज को रेमडेसिविर इंजेक्शन लिख दे रहे हैं। इसके लिए मरीजों के स्वजन दिन भर


परेशान होकर इधर-उधर भटककर अधिक दाम में लेकर आ रहे हैं। अस्पताल द्वारा रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाया जा रहा है कि यह भी किसी को नहीं पता चलता। कुछ स्थानों पर स्टाफ द्वारा चुपचाप दोगुना कीमत में


इंजेक्शन को बाजार में बेचा जा रहा है। निजी अस्पतालों की रंगदारी ऐसी बढ़ गई है कि अब शव को भी बंधक बना ले रहे हैं। कोई फोन भी कर रहा तो उसे धमकाया जाता है। हार रही राजनीतिक एप्रोच दूसरे चरण


में कोरोना संक्रमण ने अपने पैर इस तरह जमा लिए हैं कि अब एक-एक सांस के लिए राजनीतिक एप्रोज की जरूरत पड़ रही है। राजा और रंक एक जैसे हो गए हैं। जिसकी जितनी बड़ी एप्रोच है, वह उतनी जल्दी अस्पताल


में भर्ती हो रहा है। जिसकी एप्रोच नहीं है, वह दिन-दिन भर शहर के विभिन्न अस्पतालों के चक्कर काटने के बाद भी अपनों को इलाज उपलब्ध नहीं करा पा रहा है। आलम यह है कि सुबह से शाम तक धक्के खाने के


बाद लोगों की सांसें थम जा रही हैं। शहर के अस्पतालों में न तो बेड है, न आक्सीजन मिल रही है। ऐसे में मजबूरी में लोग या तो घर वापस चले जा रहे या फिर रास्ते में दम तोड़ दे रहे हैं। व्यवस्था के


नाम पर केवल लोगों को इस अस्पताल से उस अस्पताल भटकने के अलावा कुछ नहीं मिल रहा है। संक्रमण ऐसा कि पुलिस भी सहमी राजधानी रायपुर में इन दिनों लाकडाउन लगा है। शहर के चौक-चौराहों के साथ


गली-मुहल्लों में पुलिस तैनात की गई है। कोरोना संक्रमण की जद में अब पुलिस कर्मी भी आने लगे हैं। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने राजधानी के चार पुलिस कर्मियों को अपनी चपेट में ले लिया। फिर


क्या, चौक-चौराहों पर ड्यूटी कर रहे पुलिस के जवान अब संक्रमण से इतना सहम गए हैं कि सड़कों पर नजर आने वाले लोगों को रोककर उनसे पूछताछ भी नहीं कर रहे हैं। कोई आए, कोई जाए किसी पुलिस वाले को इससे


कोई लेना-देना नहीं है। कप्तान साहब के गश्त पर निकलने पर ही सभी अलर्ट होते हैं नहीं तो वे भी सहमे नजर आते हैं। आएं भी क्यों नहीं, आखिर उनका भी तो परिवार है। घर पर उनका कोई इंतजार कर रहा है।


उन्हें भी तो ड्यूटी खत्म कर घर वापस जाना है।