भाजपा नेता बृजभूषण शरण सिंह ने कहा, ‘मुझे विश्वास था न्याय मिलेगा’

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भाजपा नेता बृजभूषण शरण सिंह ने कहा, ‘मुझे विश्वास था न्याय मिलेगा’


गोंडा, 28 मई (आईएएनएस)। भाजपा के पूर्व सांसद और भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने पटियाला कोर्ट से पॉक्सो एक्ट से बरी होने के बाद समाचार एजेंसी आईएएनएस


से बातचीत के दौरान कहा कि मुझे विश्वास था कि मुझे न्याय मिलेगा।


बृजभूषण शरण सिंह ने आईएएनएस से बातचीत के दौरान इस मामले को साजिश करार दिया और कहा कि इसके पीछे कांग्रेस का हाथ था। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा की नजर भारतीय कुश्ती महासंघ


(डब्ल्यूएफआई) की कुर्सी पर थी। मेरे ऊपर जब यह आरोप लगाया गया, तब मैंने कहा था कि अगर यह आरोप सिद्ध हुए तो मैं फांसी लगा लूंगा। मैं आज भी उस पर कायम हूं। जिस दौरान मुझ पर आरोप लगे, मेरा कई


लोगों ने मजाक बनाया था। आप साक्षी मलिक के बयान देख सकते हैं। कुश्ती संघ का पद कोई मनोनीत पद नहीं है, बाकायदा चुनाव होते हैं।


उन्होंने कहा, प्रत्येक केंद्र शासित प्रदेश और राज्य के दो प्रतिनिधि हैं और कुल मिलाकर लगभग 50 वोट हैं। मेरे खिलाफ जो आंदोलन चलाया गया, वह पूरी तरह से राजनीतिक था, जिसमें कांग्रेस शामिल थी और


यहां तक कि कनाडा के लोग भी इसका हिस्सा थे। किसान आंदोलन भी इसका हिस्सा बन गया। सभी विपक्षी दलों ने इसे समर्थन दिया। लेकिन, मैंने कभी हार नहीं मानी और भगवान की कृपा से न्याय हुआ।


उन्होंने आगे कहा कि 18 जनवरी 2023 को मैंने साफ कहा था कि यह झूठा मामला है। मुझे दूसरों से मतलब नहीं है। मैं जानता हूं कि मैं कौन हूं। अगर कोई वाकई अपने जीवन में ऐसी घटनाओं को समझना चाहता है


तो एक मिनट भी काफी है। इसलिए मैंने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। मैं आज भी अपने उस बयान पर कायम हूं। मैंने 2023 में कहा था कि अगर एक भी आरोप साबित हो जाए तो मैं फांसी


लगाने को तैयार हूं। जब चार्जशीट दाखिल हुई तो कुछ लोगों ने मेरा मजाक उड़ाया, कुछ ने सवाल किया कि मैंने अभी तक फांसी क्यों नहीं लगाई। आज न्यायपालिका ने मुझे न्याय दिया है और उन्हें जवाब भी


मिला है।


उन्होंने आगे कहा कि हमारे देश में तीन कानूनी प्रावधान हैं, जो मूल रूप से महिलाओं और दलितों की सुरक्षा के लिए बनाए गए थे। दुर्भाग्य से, इन्हीं प्रावधानों का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग किया जा


रहा है। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि इन कानूनों को खत्म कर दिया जाना चाहिए, क्योंकि इन्हें सुरक्षा के लिए बनाया गया था। हालांकि, हकीकत यह है कि अब इनका इस्तेमाल सुरक्षा के बजाय हथियार के तौर पर


किया जा रहा है। इस दुरुपयोग की गहन समीक्षा होनी चाहिए।