नीट-यूजी विवाद : सुप्रीम कोर्ट ने विशेषज्ञ पैनल को रिपोर्ट सौंपने के लिए और दो सप्ताह का समय दिया

नीट-यूजी विवाद : सुप्रीम कोर्ट ने विशेषज्ञ पैनल को रिपोर्ट सौंपने के लिए और दो सप्ताह का समय दिया


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नई दिल्ली, 21 अक्टूबर (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को नीट-यूजी परीक्षा विवाद के मद्देनजर केंद्र द्वारा गठित विशेषज्ञों की उच्च स्तरीय समिति को अपनी रिपोर्ट जमा करने के लिए दो सप्ताह का


अतिरिक्त समय दिया।


भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने, जिसमें न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला तथा न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल हैं, समय विस्तार के आवेदन को तब स्वीकार कर लिया


जब सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि विशेषज्ञ पैनल की रिपोर्ट लगभग तैयार है, उसे अंतिम रूप देने के लिए थोड़ा और समय चाहिए।


केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने 26 जून को नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) द्वारा पारदर्शी, सुचारू और निष्पक्ष परीक्षाओं के संचालन के लिए प्रभावी उपायों की सिफारिश करने के लिए इसरो के पूर्व अध्यक्ष


और आईआईटी कानपुर के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष डॉ. के. राधाकृष्णन की अध्यक्षता में विशेषज्ञों की सात सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति का गठन किया था।


उच्चतम न्यायालय द्वारा केंद्र से भविष्य में नीट की शुचिता सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदमों का विवरण मांगा गया था, जिसके बाद विशेषज्ञों की उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया।


पुनः परीक्षा का आदेश देने से इनकार करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने 2 अगस्त को सुनाए गए अपने विस्तृत फैसले में विशेषज्ञ पैनल को पंजीकरण की समय सीमा, परीक्षा केंद्रों में परिवर्तन, ओएमआर शीटों


को सील करने और परीक्षा के संचालन से संबंधित अन्य प्रक्रियाओं के संबंध में एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करने का निर्देश दिया।


आदेश में कहा गया था, समिति की रिपोर्ट 30 सितंबर तक केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को सौंपी जाएगी। शिक्षा मंत्रालय रिपोर्ट प्राप्त होने के एक महीने के भीतर समिति द्वारा की गई सिफारिशों पर निर्णय


लेगा।


इसके अलावा सर्वोच्च न्यायालय ने समय की हानि के आधार पर 1,563 छात्रों को ग्रेस अंक देने के एनटीए के फैसले की निंदा की, जिसे बाद में सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष कई याचिकाएं दायर होने के बाद


वापस ले लिया गया था।


सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, हमने कहा है कि एनटीए को अब इस मामले में अपनी लापरवाही से बचना चाहिए क्योंकि यह छात्रों के हित में नहीं है।


केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया था कि उसके फैसले को सही मायने में लागू किया जाएगा।