
संजय झा के नेतृत्व में इंडोनेशिया में इस्लामी नेताओं से मिला प्रतिनिधिमंडल, आतंकवाद पर भारत की जीरो टॉलरेंस की नीति दोहराई
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जकार्ता, 30 मई (आईएएनएस)। जदयू (जनता दल यूनाइटेड) सांसद संजय कुमार झा के नेतृत्व में एक सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने शुक्रवार को नहदलातुल उलमा कार्यकारी बोर्ड (पीबीएनयू) के अध्यक्ष
के.एच. उलिल अबशार अब्दुल्ला और दुनिया के सबसे बड़े इस्लामी संगठन नहदलातुल उलमा (एनयू) इन इंडोनेशिया के समिति सदस्य खोलीली खोलील से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल ने हिंसा और धार्मिक चरमपंथ के
खिलाफ उनका समर्थन मांगा। संजय झा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, नहदलातुल उलमा कार्यकारी बोर्ड के अध्यक्ष के.एच. उलिल अबशार अब्दुल्ला और दुनिया के सबसे बड़े इस्लामी
संगठन नहदलातुल उलमा के समिति सदस्य खोलीली खोलील से मिलकर सम्मानित महसूस कर रहा हूं। हमारे सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने आतंकवाद के खिलाफ भारत के दृढ़ रुख की पुष्टि की और धार्मिक उग्रवाद
का मुकाबला करने में समर्थन मांगा। उन्होंने पोस्ट में लिखा, भिन्नेका तुंगल इका (सब अलग-अलग हैं, फिर भी एक हैं) के मूल्यों से बंधे राष्ट्रों के रूप में, हमने शांति और न्याय को बढ़ावा देने के
लिए साझा आवाज बनने का आह्वान किया। के.एच. उलिल ने भारत के साथ गहरी एकजुटता व्यक्त की, पहलगाम हमले की कड़ी निंदा की और शांति, सहयोग तथा प्रगति के लिए भारत और इंडोनेशिया के साथ मिलकर चलने की
आवश्यकता की पुष्टि की। गत 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकवादी हमले की निंदा करते हुए, जिसमें 26 लोगों की जान चली गई, के.एच. उलिल ने कहा कि वह दर्द महसूस करते हैं और उन्होंने भारत और इंडोनेशिया से
शांति तथा आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए साथ चलने का आह्वान किया। अनेकता में एकता या भिन्नेका तुंगल इका के साझा मूल्यों वाले सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाले शांतिप्रिय देशों के रूप में,
जिसे राज्य की नीति के साथ-साथ दैनिक जीवन में भी अपनाया जाता है, प्रतिनिधिमंडल के नेता ने एनयू नेताओं से भारत का समर्थन करने और दुनिया को एक कड़ा संदेश देने के लिए सीमा पार आतंकवाद की निंदा
करने का आग्रह किया। इससे पहले गुरुवार को, प्रतिनिधिमंडल ने इंडोनेशिया में लगभग 20 देशों के मैत्रीपूर्ण राजनयिक मिशनों के निवासी राजदूतों के साथ बातचीत की। ऑपरेशन सिंदूर पर विस्तृत जानकारी
साझा की और 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए भीषण आतंकवादी हमले में पाकिस्तान की भूमिका को स्पष्ट रूप से समझाया। उन्होंने पहलगाम हमले के बाद भारत की नपी-तुली, आगे नहीं बढ़ाने वाली और टारगेटेड
प्रतिक्रिया पर प्रकाश डाला। प्रतिनिधिमंडल ने संदेश दिया कि आतंक और बातचीत एक साथ नहीं चल सकते, और खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते। --आईएएनएस एससीएच/एकेजे Advertisment डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस
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