
भारत के इस पड़ोसी मुल्क में होने वाला है तख्तापलट! सेना अपने हाथ में ले सकती है कमान
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Bangladesh News: बांग्लादेश इस समय नाजुक दौर से गुजर रहा है. हाल ही में देश में तख्तापलट की आशंका काफी तेज हो गई थी. कार्यवाहक राष्ट्रपति मोहम्मद यूनुस ने राजनीतिक दलों और सेना के साथ बैठक
करके हालात को कुछ हद तक शांत करने की कोशिश की. ऐसा लगने लगा था कि देश में स्थिरता आ जाएगी, लेकिन असल में खतरा अभी टला नहीं है. बांग्लादेश की सेना राजनीति में पहले ही हस्तक्षेप कर चुकी है और
अब भी उसका असर बना हुआ है. दूसरी तरफ विपक्षी दल सरकार से काफी नाराज हैं. वे युनूस की अंतरिम सरकार को निष्पक्ष नहीं मानते और बार-बार चुनाव की मांग कर रहे हैं. अगर यह संतोष बढ़ता है तो देश में
फिर से अशांति फैल सकती है. Advertisment यह खबर भी पढ़ें- पाकिस्तान को नहीं थी उम्मीद! जिसको समझा अपना करीबी वो निकला भारत का दौस्त, दे दिया झटका देश की आर्थिक स्थिति भी अच्छी नहीं देश की
आर्थिक स्थिति भी अच्छी नहीं है. महंगाई बेरोजगारी और गरीबी बढ़ रही है. आम जनता की तकलीफें बढ़ने से सरकार पर दबाव और बढ़ जाता है. जब लोगों की जरूरतें पूरी नहीं होती तो वे सरकार से नाराज होकर
विरोध में उतरते हैं, जिससे हालात और बिगड़ सकते हैं. देश में कुछ कट्टरपंथी संगठन भी सक्रिय हैं जो इस समय अस्थिरता का फायदा उठाना चाहते हैं. साथ ही कुछ बाहरी देशों का भी बांग्लादेश की राजनीति
में दखल माना जा रहा है. इससे स्थिति और भी जटिल बन जाती है और तख्तापलट जैसी घटनाओं की संभावना बढ़ जाती है. अगर कार्यवाहक राष्ट्रपति मोहम्मद यूनुस दिसंबर 2025 तक पारदर्शी और निष्पक्ष चुनाव की
घोषणा नहीं करते या जरूरी सुधार नहीं लाते तो तख्तापलट का खतरा फिर से उठ सकता है. यह खबर भी पढ़ें- जिसका डर था वही हुआ! दिल्ली में अब इन गाड़ियों को नहीं मिलेगा पेट्रोल-डीजल, सरकार ने बदला
नियम राजनीतिक उथल-पुथल कट्टरपंथी ताकतों का बढ़ता प्रभाव देश को स्थिरता और विकास की दिशा में ले जाने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति सेना की तटस्थता और जनता का विश्वास तीनों जरूरी है. पिछले 9
महीने में बांग्लादेश में राजनीतिक उथल-पुथल कट्टरपंथी ताकतों का बढ़ता प्रभाव और सेना और सरकार के बीच टकराव ने तख्ता-पलट की आशंकाओं को बल दिया है. समाचारों के अनुसार सेना ने यूनुस को सैन्य
मामलों में हस्तक्षेप बंद करने और दिसंबर 2025 तक चुनाव की तारीख घोषित करने का अल्टीमेटम दिया है. दरअसल, इन सारी घटनाओं के पीछे मोहम्मद यूनुस की कुर्सी को लेकर बढ़ता प्रेम और अति महत्वाकांक्षा
को माना जा रहा है. माना जा रहा है कि यूनुस के कमजोर नेतृत्व ने बांग्लादेश का बंटाधार कर दिया है. 2024 में शेख हसीना की सरकार के पतन के बाद बांग्लादेश की आर्थिक हालत खस्ता होती जा रही है.
विश्व बैंक और आईएलओ के अनुमानों के अनुसार 2024 में बेरोजगारी दर 5 से 6% के आसपास थी लेकिन अनौपचारिक क्षेत्रों में यह अधिक है.