
हजारों हाथों को काम देती है ईद की सेवई
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BY: INEXTLIVE | Updated Date: Thu, 23 Jun 2016 07:41:01 (IST) पूरे साल की जाती है तैयार, एक महीने में निकल जाता है स्टाक किमामी सेवई है डिमांडेड, ईद से तीन महीने पहले लेते हैं आर्डर रमजान और
सेवई एक-दूसरे के पूरक हैं। रमजान महीने का पहला असरा समाप्त होने के बाद मार्केट में सेवई का बाजार भी सज चुका है। साथ ही तैयार करने में पूरे साल इंवेस्ट करने वालों की मेहनत का सबब मिलने का
भी। घरों और कारखानों में तैयार सेवई मार्केट में आ चुकी है और खरीदार भी दिखने लगे हैं। मुगलकाल से चली आ रही परंपरा मुगल शासन में ईद पर सेवई बनाने का रिवाज था। यह रिवाज आज भी पूरे दिल से माना
जाता है। इसे मुकम्मल तौर पर कायम रखा गया है। ईद पर सेवई मुख्य मिठाई मानी जाती है। इलाहाबाद शहर में सेवई का कारोबार बहुत बड़े पैमाने पर किया जाता है। यहीं से सेवई बन कर मुम्बई, आगरा जैसे कई
बड़े शहरों में सप्लाई की जाती है। शहर में कई बड़ी सेवाई कंपनियां हैं। एक इलाका सेवई मण्डी नखास कोना के नाम से मशहूर है, जहां शहर के हर सेवई विक्रेता की दुकाने हैं। साल भर हिफाजत से रखना
चैलेंज सेवई के कारोबार से जुड़े अब्दुल करीम बताते हैं कि सेवई साल भर बनाई जाती है। इसे गोदाम में हिफाजत से रखा जाता है, और डिमांड पर सप्लाई की जाती है। ईद का आर्डर शबे बारात में लिया जाता
है। उसके बाद कोई आर्डर नहीं लेते हैं। आर्डर पर सप्लाई रमजान से पहले कर दी जाती है। इसमें तकरीबन तीन महीने लगते है। हर फैक्ट्री के जगह-जगह सेंटर हैं। इन सेंटर्स से ठेकेदार काम लेते हैं। इनके
नीचे 25-30 वर्कर काम करते हैं। सब कामों पर कड़ी नजर रखी जाती है, ताकि कोई मिलावट ना हो सके और क्वालिटी अच्छी रहे। महिलाएं ज्यादा हैं कर्मचारी वर्कर्स ज्यादातर महिलायें होती हैं। महिलाओं के
लिए ये आसानी से किया जाने वाला काम है। बड़ी मशीन होने से काम आसान रहता है। एक मशीन से एक बार में 250 ग्राम सेवई बनाई जाती है। इसे बनाने में ज्यादातर मैदे का इस्तेमाल होता है। कारखाने में काम
करने वाले कर्मचारियों को हर दिन 150-200 रुपए मजदूरी मिलती है। कारखाने के ओनर बताते हैं कि किमामी सेवई की डिमांड सबसे ज्यादा होती है। भुनी, मोटी, तली ये सीवाई की अन्य किसमें हैं। कारखाने में
सेवई 65-70 रुपय डिब्बा में मिलती है। बाजार में इसकी कीमत 90-100 रुपए प्रति डिब्बा हो जाती है। घरों में ईद पर बनती है किमामी मुजाफर हलवा सेवई नमकीन सेवई ज़फरानी सेवई ज़रदा सेवई सेवई के बाजार
में तो साल भर काम जारी रहता है। रमजान में इसकी डिमांड बढ़ जाती है। तीन महीने पहले से हम आर्डर ले कर सप्लाई पर काम करना शुरू कर देते हैं। हमें ये सोचकर खुशी होती है कि हमारी सेवई इतने सालों
से लोगों के चेहरे पर मुस्कान ला रही है। अब्दुल करीम पहले हम सेवई घर पर हाथ वाली मशीन से बनाते थे। बुढ़ापे के वजह से अब नहीं बना पाते। घर के बाकी सदस्य अब बाजार से सेवई लाते हैं। भले ही बनाने
का तरीका बदल गया है, पर सेवई की वो मिठास आज भी बरकरार है। इस्लामुन निशा