Neet परीक्षा में लड़की के अंडरगारमेंट उतरवाए, सांसद ने किया विरोध, हुआ जांच का आदेश

Neet परीक्षा में लड़की के अंडरगारमेंट उतरवाए, सांसद ने किया विरोध, हुआ जांच का आदेश


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केरल के कन्नूर में रविवार को आयोजित हुई नीट परीक्षा की सुरक्षा जांच के दौरान एक लड़की पर अंडरगारमेंट्स उतारने का दबाव डाले जाने की घटना पर राज्य मानवाधिकार आयोग सख्त हो गया है। आयोग ने एक


उच्चस्तरीय कमिटी को इस मामले की जांच करने का आदेश दिया है। वहीं सांसद पीके श्रीमती ने इस मामले को अमानवीय और शर्मनाक बताया है। सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में श्रीमति ने कहा कि वह प्रशासन


के सामने इस मुद्दे को उठाएंगी। उन्होंने कहा कि जिस लड़की से इनरवेयर उतारने को कहा गया वह कभी दोबारा उस आत्मविश्वास के एग्जाम में नहीं बैठ पाएगी। उन्होंने इस घटना को लड़की के मानवाधिकार का


उल्लंघन बताया। उन्होंने कहा कि वह नीट आयोजित करने वाली सीबीएसई से ड्रेस कोड की गाइडलाइंस पर फिर से विचार करने और केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन व शिक्षा मंत्री से इस मामले में दखल देने की


गुजारिश करेंगी। दूसरी ओर राज्य मानवाधिकार आयोग ने इसे अधिकारों का हनन बताते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से दखल देने की मांग की है। आयोग ने सीबीएसई के क्षेत्रीय निदेशक से 3 हफ्ते में इस


घटना पर जवाब मांगा है। वहीं कन्नूर जिला पुलिस चीफ और केरल यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार को इस मामले में अलग-अलग रिपोर्ट दाखिल करनी होगी। द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक कमिशन के एक्टिंग चेयरमैन


पी.मोहनदास ने एक प्रेस रिलीज में कहा कि राज्य में आयोजित हुई नीट परीक्षा के दौरान आयोग को कई जगहों से एेसी ही रिपोर्ट्स मिली हैं। बच्चों को एग्जाम सेंटर में एंट्री दिलाने के लिए पैरंट्स को


कपड़े तक ढूंढने पड़े। उन्होंने कहा कि सीबीएसई ने अंतिम समय में बच्चों को ड्रेस कोड के बारे में बताया। इसलिए जिम्मेदार लोगों पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। देशभर के 103 परीक्षा केन्द्रों पर


7  मई को मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए नीट परीक्षा हुई थी। इसमें 11 लाख 35 हजार 104 स्टूडेंट शरीक हुए थे। यह पिछले साल इसी परीक्षा में शामिल हुए छात्र-छात्राओं की संख्या से 41.42 फीसदी


ज्यादा था। नकल की बढ़ती शिकायतों को देखते हुए सीबीएसई ने काफी सख्त गाइडलाइंस जारी की थीं। नियम के मुताबिक उम्मीदवारो को जूते पहनने की मनाही थी। केवल चप्पल ही पहनने की इजाजत दी गई थी। गर्ल्स


स्टूडेंट्स साड़ी के बजाए साधारण सूट या जीन्स टी-शर्ट वह भी बगैर किसी तस्वीर या प्रिंट वाली पहन सकती थीं।