
रथ सप्तमी 2018: सूर्य के पूजन से मिलती है कष्टों से मुक्ति, जानें क्या है कथा
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माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को रथ सप्तमी का पर्व मनाया जा रहा है। रथ सप्तमी को सूर्य सप्तमी, अचला सप्तमी, आरोग्य सप्तमी आदि नामों से जाना जाता है। यदि सप्तमी रविवार के दिन पड़े तो उसे
भानु सप्तमी के नाम से जाना जाता है। रविवार सूर्य का दिन होने के कारण इसका महत्व अधिक बढ़ जाता है। इस वर्ष रथ सप्तमी 24 जनवरी 2018 को मनाया जा रहा है। भगवान सूर्य को सप्तमी का ये पर्व समर्पित
किया जाता है। इस दिन के लिए मान्यता है कि रथ सप्तमी के दिन किए गए स्नान, दान, पूजा आदि सत्कर्मों का फल हजार गुना बढ़ जाता है। शास्त्रों में सूर्य को आरोग्यदायक माना गया है और रोग मुक्ति के
लिए सूर्य आराधना को उपाय के रुप में बताय गया है। माघ मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी से संबंधित कथा का उल्लेख पुराणों में मिलता है। कथा के अनुसार भगवान कृष्ण के पुत्र शाम्ब को अपने शारीरिक बल और
सौष्ठव पर अभिमान होने लग गया था। इसी अभिमान के कारण शाम्ब ने दुर्वसा ऋषि का अपमान कर दिया, ऋषि ने क्रोध में शाम्ब को कुष्ठ होने का श्राप दे दिया। भगवान कृष्ण को ऋषि के श्राप के बारे में पता
चला तो उन्होनें अपने पुत्र को सूर्य की आराधना करने के लिए कहा। अपने पिता की आज्ञा का पालन करते हुए शाम्ब ने सूर्य आराधना शुरु कर दी जिसके फल के रुप में उसे सूर्य भगवान ने आशीर्वाद दिया।
शाम्ब के सभी कष्टों का अंत हो गया। इसी कारण से सप्तमी के दिन श्रद्धालु सूर्य की आराधना विधिवत करते हैं और सूर्य को प्रसन्न करके आरोग्य, पुत्र, धन और सुख की प्राप्ति करते हैं। रथ सप्तमी के
दिन सूर्य का पूजन करना लाभकारी माना जाता है और सूर्य की आराधना में व्रत किया जाता है। माना जाता है जो लोग सूर्य सप्तमी या रथ सप्तमी के दिन व्रत करते हैं उनके सभी कष्ट मिट जाते हैं। सूर्य की
तरफ मुख करके सूर्य स्तुति पढ़ने से शारीरिक चर्मरोग समाप्त हो जाते हैं। संतान प्राप्ति के लिए भी रथ सप्तमी का व्रत लाभकारी माना जाता है। ग्रहों की क्रूर दशा को समाप्त करने में भी ये व्रत
महत्वपूर्ण माना जाता है।