
Thursday vrat vidhi: बृहस्पतिवार व्रत रखने के लाभ और पूजा विधि जानें यहां
Play all audios:

गुरुवार यानी बृहस्पतिवार के दिन भगवान विष्णु और देव गुरु बृहस्पति की पूजा का विधान है। बहुत से लोग इस दिन व्रत रखते हैं। माना जाता है इस व्रत को करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति हो जाती है।
खासकर इस व्रत को कुंवारी लड़कियों के लिए काफी फलदायी बताया गया है इससे विवाह में आ रही रुकावट दूर हो जाती है। संतान सुख से वंचित लोगों के लिए भी ये व्रत शुभ माना गया है। जानें और किन्हें
करना चाहिए ये उपवास और क्या है इसकी विधि… इनके लिए बृहस्पतिवार व्रत रखना लाभकारी (THURSDAY FAST BENEFITS IN HINDI) : – जिनकी कुंडली में बृहस्पति ग्रह कमजोर हो – विवाह में देरी और रुकावट आ
रही हो, वैवाहिक जीवन अच्छा नहीं चल रहा हो – संतान संबंधी समस्या या संतान सुख से वंचित हो – जिन्हें पेट या मोटापे से संबंधित समस्या हो – जिन्हें अपना आध्यात्मिक पक्ष मजबूत करना हो और बुद्धि
और शक्ति की कामना हो गुरुवार व्रत कथा पढें यहां बृहस्पतिवार व्रत विधि (THURSDAY VRAT VIDHI) : – यह व्रत लगातार 7 या 16 गुरुवार तक रखना चाहिए। बेहतर होगा कि इस व्रत का आरंभ अनुराधा नक्षत्र
युक्त गुरुवार से किया जाये। – इस दिन व्रती को सुबह स्नान कर विष्णु भगवान का ध्यान करके व्रत करने का संकल्प लेना चाहिए। – अगर बृहस्पतिदेव की पूजा करनी है तो उनका ध्यान करें और फल, फूल और पीले
वस्त्रादि से बृहस्पतिदेव और विष्णुजी की पूजा करनी चाहिए। जानिए, गुरुवार का महत्व और इस दिन क्या करना रहेगा शुभ – उपवास वाले दिन श्रीहरि की पूजा करने के बाद व्रत कथा जरूर पढ़ें या सुनें। –
इस दिन केले का दान करना शुभ माना जाता है लेकिन केला खुद न खाएं। – व्रत वाले दिन एक बार बिना नमक का पीले रंग का भोजन ग्रहण करना चाहिए। – शाम को कथा सुनने के बाद ये भोजन ग्रहण करें।
बृहस्पतिवार पूजा विधि (THURSDAY VRAT PUJA VIDHI) : व्रत वाले दिन सुबह उठकर स्नान आदि कार्यों से निवृत्त हो जाएं और भगवान हरि के समक्ष बैठ जाएं। भगवान की प्रतिमा को साफ कर अपने हाथ में चावल
एवं पीले फूल लेकर 7 या 16 गुरुवार व्रत करने का संकल्प करिए और श्रीहरि को छोटा पीला वस्त्र अर्पण करिए और अगर केले के पेड़ की पूजा कर रहें हैं तो भी छोटा पीला कपड़ा पेड़ पर चढ़ाइए। अब एक लोटे में
जल लें उसमे थोड़ी हल्दी डालकर विष्णु भगवान या केले के पेड़ की जड़ को स्नान कराइए। अब उस लोटे में गुड़ और चने की दाल डालें और अगर आप केले के पेड़ की पूजा कर रहें हैं तो उसी पर इसे चढ़ा दीजिये। अब
भगवान का तिलक हल्दी या चन्दन से करिए, पीला चावल चढ़ाएं, घी का दीपक जलायें, कथा जरूर सुनें। कथा के बाद उपला लेकर हवन करिए, गाय के उपले को गर्म कर उस पर घी डालिए और अग्नि प्रज्वलित होने पर उसमे
हवन सामग्री के साथ गुड़ एवं चने की आहुति दें, 5, 7 या 11 ॐ गुं गुरुवे नमः मन्त्र के साथ, हवन के बाद आरती करिए और आखिर में क्षमा प्रार्थना करें, पूजा संपन्न होने के बाद आपके लोटे में जो पानी
है उसे अपने घर के आस पास के केले के पेड़ पे चढ़ा दीजिये। विष्णु जी की आरती पढ़ें यहां