बागवानी का मौसम

बागवानी का मौसम


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अब बरसात का मौसम समाप्ति की ओर बढ़ रहा है। यही समय है, जब घर की बागवानी के लिए मिट्टी वगैरह की तैयारी कर लेनी चाहिए। सर्दी में उगने वाली कई सब्जियों के पौधे भी इसी मौसम में रोपे जाते हैं।


गुलदाउदी, डेहलिया जैसे फूलों की पौध भी इसी मौसम में तैयार की जाती है। घर में सब्जियां उगाई जाएं, तो न सिर्फ कई चीजों के लिए बार-बार बाजार जाने से छुट्टी मिल जाती है, बल्कि इनसे घर की सजावट


भी हो जाती है। घर में बागवानी की तैयारी के बारे में पेश हैं रवि डे के सुझाव। शायद ही कोई होगा, जिसे घर में पौधे लगाना पसंद न हो। बहुत सारे लोग बाजार से फूलदार पौधे खरीद कर लाते हैं। उनकी


देखभाल माली पर छोड़ देते हैं। मगर अगर खुद पौधों के बारे में जानकारी रखें और उन्हें उगाना, उनकी मिट्टी, पानी, खाद वगैरह का ध्यान रखना सीख जाएं, तो यह न सिर्फ घर की शोभा बढ़ाने में मददगार होगा,


बल्कि आपके मन को भी बहुत अच्छा लगेगा। यह मौसम बागवानी के लिए बहुत खास है। बरसात खत्म होने की तरफ बढ़ रही है। इसी मौसम में सर्दी में उगने वाले बहुत सारे पौधों का रोपण किया जाता है। कई


सब्जियों, जैसे बैगन, टमाटर, मिर्च, फूल गोभी वगैरह की पौध तैयार की जाती है। इसके अलावा बरसात की वजह से जिन पौधों की जड़ें फैल कर गमले को घेर लेती हैं, उनमें अतिरिक्त शाखाएं फूट आती हैं, उनकी


कटाई-छंटाई और खाद-मिट्टी बदलने का भी मौसम होता है। बनाएं घर में शाक उद्यान घर में कुछ साग-सब्जियां जरूर उगानी चाहिए। इसके लिए ज्यादा जगह की जरूरत भी नहीं होती। रसोई की जगह में, बालकनी, खुली


छत पर कुछ गमले रख कर शाक उद्यान यानी किचेन गार्डन बनाया जा सकता है। जरूरी नहीं कि शाक उद्यान में घर की हर जरूरत की सब्जी बोई जाए। पर कुछ चीजें ऐसी हैं, जो हर घर में आसानी से उगाई जा सकती हैं


और उनका रोजमर्रा इस्तेमाल भी होता है। मसलन, पुदीना, धनिया, लहसुन, हरी मिर्च। इनके लिए एक या दो गमले रखना पर्याप्त होता है। पुदीना अगर दो गमलों में रोप दें, तो इससे रोजमर्रा की जरूरत पूरी हो


सकती है। इसी तरह दो गमलों में बदल-बदल कर धनिया उगाई जा सकती है। एक या दो गमलों में लहसुन उगाया जा सकता है। जब एक गमला खाली होने लगे, तो दूसरे गमले में रोप दें। इसी तरह हरी मिर्च के दो पौधे


रोजमर्रा की जरूरत पूरी कर सकते हैं। मिर्च में फल बहुत आते हैं। शाक उद्यान बनाने के लिए बालकनी उपयुक्त जगह होती है। अगर आपका घर भूतल पर है, तो और जगह मिल सकती है। अगर आपकी छत खुली हुई है, तो


वहां बड़ा हिस्सा मिल जाता है शाक उद्यान बनाने का। शाक उद्यान बनाने के लिए चौकोर गमलों का उपयोग किया जा सकता है। आजकल प्लास्टिक के हल्के गमले बनने लगे हैं, जिन्हें बालकनी में रखा जा सकता है।


इसके लिए बालकनी की मुंडेर पर लोहे की रेलिंग बनवाई जा सकती है। इसी तरह छत पर लकड़ी या लोहे के फट्टों से सीढ़ीदार जगह बनाई जा सकती है, जिस पर गमले रख कर पौधे उगाए जा सकते हैं। इनमें आप बैगन,


टमाटर, गोभी, लौकी जैसे पौधे भी उठा सकते हैं। ये कुछ ऐसी सब्जियां हैं, जो बहुत फल देती हैं और घर की काफी जरूरत इनसे पूरी हो सकती है। शाक उद्यान बनाने का फायदा यह है कि घर पर आर्गेनिक तरीके से


सब्जियां उगाई जा सकती हैं, जो सेहत की दृष्टि से बहुत लाभदायक है। फूलदार पौधे इस मौसम में ही सर्दी में खिलने वाले फूलों जैसे गुलदाउदी और डेहलिया की पौध तैयार की जाती है। इसके लिए छत पर या


भूतल पर खाली जगह में प्लास्टिक से ग्रीन हाउस तैयार कर पौधशाला बनाया जा सकता है। नर्ससरी से खरीदने पर ये पौधे काफी महंगे मिलते हैं। इसलिए अगर आपको खूब सारे पौधे लगाने हैं, तो अपनी नर्सरी


बनाना ज्यादा बेहतर रहता है। इसी मौसम में गुलदाउदी की टहनियां काट कर उनकी कलम तैयार करना शुरू कर दें। इसी तरह डेहलिया की पौध भी तैयार करें। इस मौसम में इन फूलों की कलम रोपना इसलिए उपयुक्त


होता है कि इस समय न तो बहुत तीखी धूप होती है और न अधिक छांह। इन पौधों की कलम तैयार होने के लिए मौसम में जितनी उमस चाहिए, वह पर्याप्त बनी रहती है। इसी तरह बैगन, टमाटर, मिर्च और फूल गोभी की


पौध तैयार करने के लिए भी यही उपयुक्त मौसम है। बरसात खत्म होने के बाद यानी सितंबर अंत तक इन पौधों को गमलों या क्यारियों में रोप देना चाहिए, ताकि इनकी बढ़वार शुरू हो जाए। खाद-मिट्टी घर में शाक


उद्यान बनाना हो या फिर फूलों के गमले तैयार करने हों, उनमें रासायनिक खाद के बजाय कंपोस्ट और गोबर की खाद का ही इस्तेमाल करना चाहिए। कंपोस्ट घर में ही आसानी से बनाई जा सकती है। हरी सब्जियों और


दूसरी सब्जियों के छिलके वगैरह को एक मिट्टी के मटके में डालते जाएं। उसमें थोड़ी सूखी पत्तियां और गुड़ की एक छोटी, डली, एक चम्मच हल्दी पाउडर डाल दें, इससे बदबू नहीं आएगी। इस मौसम में कंपोस्ट


जल्दी बन कर तैयार हो जाती है। यों कंपोस्ट तैयार करने की बाल्टियां बाजार में भी मिलने लगी हैं। गोबर की खाद बाजार यानी नर्सरियों में खूब मिलती है। वहां से खरीद लें। अभी जितनी मात्रा आपने गोबर


की खाद और कंपोस्ट की ली है उतनी ही मात्रा आधा-आधा करके रेत और मिट्टी की लें और सब कुछ को मिला कर छोड़ दें। मिट्टी हमेशा खेत से ऊपर सतह की लेनी चाहिए। मगर शहरों में ऐसा करना संभव नहीं होता,


इसलिए मिट्टी की मात्रा कम करके गोबर की खाद की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए। इस मिश्रण को चाहें तो इसे गमलों में भर कर रख सकते हैं या फिर खाली जगह है, तो वहां छोड़ सकते हैं। कुछ दिनों तक पानी, धूप,


उमस रहने से ये सारी चीजें आपस में घुल-मिल जाएंगी। फिर जब इनमें पौधे रोपने हों, तो मिट्टी को उलट-पलट कर कम से कम दो दिन खुला रख दें। फिर गमलों में भरें और पौधा रोप दें। निरंतर बागवानी शाक


उद्यान में कुछ ऐसी चीजें भी उगाई जा सकती हैं, जो थोड़े-थोड़े अंतराल पर बोई और फिर खाई जाती हैं। इनमें मूली, शलजम, पालक, मेथी, हरा प्याज, आदि हैं। इसके लिए दो गमले तैयार करें। एक गमले में साग


बो दें, जब वह उपयोग के लायक होने लगे, तो दूसरे गमले में वही साग बो दें। जैसे मेथी दाने एक गमले में बो दें, फिर पंद्रह दिन बाद दूसरे गमले में बो दें। इस तरह जब एक गमले का साग खत्म होगा, तब तक


दूसरे गमले का तैयार हो जाएगा, फिर उसमें नई पौध लगाई जा सकती है। हरा प्याज, मूली आदि के साथ भी ऐसा ही कर सकते हैं, क्योंकि ये साग-भाजी जल्दी तैयार हो जाते हैं। इसी तरह बालकनी में रस्सियों का


जाल बना कर ऊपर तान सकते हैं और गमलों में करेला, लौकी जैसी बेल वाली सब्जियां उगा कर उन पर चढ़ाई जा सकती हैं। गमले में उगाए दो करेले की बेलें भी जरूरत भर का फल दे देती हैं। लौकी की एक बेल भी


पर्याप्त फल दे सकती है।