Video- स्कूल में खाना का इंतजार करते रहे बच्चे, दो घंटे बाद मिला तो चोखा निकला खराब

Video- स्कूल में खाना का इंतजार करते रहे बच्चे, दो घंटे बाद मिला तो चोखा निकला खराब


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बच्चों को स्कूल में समय पर खाना मिले। गरमा गरम खाना परोसा जाए। इसके लिए राजधानी में केंद्रीयकृत रसोई की शुरुआत हुई। तीसरे दिन से ही यह व्यवस्था बेपटरी हो गई है।  बुधवार को आपके अपने अखबार...


बच्चों को स्कूल में समय पर खाना मिले। गरमा गरम खाना परोसा जाए। इसके लिए राजधानी में केंद्रीयकृत रसोई की शुरुआत हुई। तीसरे दिन से ही यह व्यवस्था बेपटरी हो गई है।  बुधवार को आपके अपने अखबार


हिन्दुस्तान ने मिड डे मील का जायजा लिया तो पता चला कि न तो समय से खाना मिल रहा है और न ही समय पर खाना पहुंच रहा है। बच्चे या तो बिना खाए घर जा रहे हैं या फिर बेकार खाना छू भी नहीं रहे हैं।


प्राचार्यों ने बताया कि पहले दिन खीर दी गयी। दूसरे दिन चावल, दाल और सब्जी दी गयी। हालांकि खाना देर से पहुंच रहा था। चावल में कंकड़ मिला था। बुधवार को खिचड़ी और चोखा दिया गया। चोखा खट्टा होने


के कारण कई बच्चों ने खाना नहीं खाया।  केस-  1  कन्या मध्य विद्यालय तारामंडल अदालतगंज का परिसर है। स्कूल में लंच का समय 12 बजकर 20 मिनट है। समय होते ही घंटी बजी। सारे बच्चे कक्षा से बाहर आ


गए। खाना का इंतजार करते रहे लेकिन उन्हें खाना नहीं मिला। चुकी बच्चों को पता था कि अब खाना स्कूल के बाहर से आयेगा, इस कारण बार-बार वो गेट पर जाकर खाना का इंतजार करने लगे। एक घंटा बीता, डेढ़


घंटा हुआ, लेकिन खाना नहीं आया। एक बजे लंच का समय खत्म हो गया, फिर सारे बच्चे को कक्षा में जाने को कहा गया। लेकिन अधिकतर बच्चे स्कूल से चले गये। भूखे थे, उन्हें खाना चाहिए था। ठीक दो बजे खाना


की गाड़ी आयी। खिचड़ी और आलू का चोखा था। फिर दुबारा लंच की घंटी बजी। बच्चे आयें, उन्हें थाली मिली। खाना भी लिया। लेकिन चोखा खट्टा हैं, कह कर बच्चों ने खाना नहीं खाया। अधिकतर बच्चों ने खाना


फेंक दिया। अदालतगंज के इस परिसर में दो और स्कूल बालक मध्य विद्यालय गोलघर और प्राथमिक विद्यालय, मुसहरी गोलघर चलता है। तीनों स्कूल मिला कर कुल नामांकन लगभग एक हजार बच्चे है। बुधवार को उपस्थिति


पांच सौ थी। लेकिन खाना केवल तीन सौ बच्चों ने खाया। आधे से अधिक बच्चे डेढ़ बजे चले गये।  केस- 2   माध्य विघालय मिलर स्कूल में दिन के 2 बज रहे थे। बच्चों के खाने का समय हो चुका था। तभी घंटी


बजी और बच्चे दोपहर का खाना खाने के लिए दौड़ पड़े। खाना थाली में लिया। सभी बच्चों ने पहला निबाला मुह में जैसे ही रखा कि अचनाक से सभी बच्चों ने थूक दिया। आलू भी सड़ा हुआ है। ये बोलकर सभी बच्चों


ने सारा खाना जाकर फेंक दिया। बच्चे भूखे पेट ही क्लास में पढ़ने को चले गए। इंमार्च पूनम का कहना है कि जब से खाना बन कर आना शुरू हुआ है , तब से रोज ही बच्चे खाना थाली में लेते हैं। और एक निबाला


खाकर फेंक देते हैं। खाना जो बनकर आता है वह बिल्कुल भी बच्चों के खाने लायक  नहीं होती है।  आधे से दो घंटे देरी से पहुंचा खाना एनजीओ द्वारा खाना देने के पहले दिन से ही देरी से भेजा जा रहा है।


हर स्कूल में खाना देरी से पहुंच रहा है। प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला सचिव प्रेमचंद्र ने कहा कि अधिकतर स्कूल में खाना देरी से पहुंच रहा है। आधे घंटे से लेकर दो घंटा तक देरी से खाना पहुंचता


है। प्राथमिक विद्यालय बड़ा अस्पताल, पीएमसीएच प्रशासन की मानें तो चावल में कंकड़ होने की शिकातय बच्चे कर रहें है।  खाना खराब कह बच्चों ने फेंक दिया खाना  जिन स्कूलों में खाना देरी से पहुंचा,


वहां पर खाना खराब होने की शिकातय बच्चों ने की। बुधवार को खिचड़ी और आलू का चोखा परोसा गया। मिड डे मील मेनू के अनुसार बुधवार को हरी सब्जी वाली खिचड़ी और आलू का चोखा है। लेकिन आज जो बच्चों को


परोसा गया, उसमें सामान्य खिचड़ी और आलू में केवल नमक डाल का चोखा तैयार किया गया था।  पिकअप वैन से पहुंचाया जा रहा खाना  मिड डे मील को एनजीओ प्रशासन पिकअप वैन में स्कूल पुहुंचा रहे है। यह वैन


पूरा खुला रहता है। खूल वैन में स्टील के कैन में खाना स्कूल पहुंचाया जाता है। ऐसे में धूप मे काफी देर तक खाना कैन में बंद रहता है।  बच्चों ने खाना खराब होने की शिकायत की  खिचड़ी में कंकड़ है।


नमक भी कम है। अच्छा नहीं लग रहा है। स्कूल का खाना अधिक गरम था। चोखा में बस नमक डाला हुआ है।  - आरती, छात्रा, मध्य विद्यालय, बांकीपुर  चोखा खट्टा लग रहा है। खिचड़ी थोड़ा गर्म है। पूरा नहीं


खाया, क्योंकि पूरा खा लेंगे तो तबीयत खराब हो जायेगी। मेरे दोस्त ने भी नहीं खाया।  - अमित, बालक मध्य विद्यालय, गोलघर  खाना बहुत देरी से मिलता है। मै तो कल घर चला गया था। हम लोगों को खाना 12


बजे मिलता है, लेकिन आज दो बजे मिला है।  - रोहन, बालक मध्य विद्यालय, मुसहरी  खाना काफी देरी से आता है। बच्चे खाना नहीं खाते हैं। लंच के समय के बाद खाना आता है। इससे आधे बच्चे तो भाग जाते है।


बुधवार को भी वहीं स्थिति रही। - शारदा कुमारी, प्राचार्य, कन्या मध्य विद्यालय, अदालतगंज  समय पर बच्चों को खाना नहीं मिलता है, इसकी जानकारी हमें नहीं है। मैं इसकी जांच करवाता हूं। एनजीओ द्वारा


किसी तरह की लापरवाही सही नहीं है। उनसे हर दिन की रिपोर्ट ली जायेगी।  - रुपेश कुमार सिंह, डीपीओ, मध्याह्न भोजन योजना