विचारहीन दौर

विचारहीन दौर


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आजकल आप किसी से कुछ कहते हैं और वह आपकी बात से सहमत है, तो यह नहीं कहेगा कि ‘हां, आप सही कह रहे हैं।’ और यदि वह सहमत नहीं है, तो यह नहीं कहेगा कि ‘नहीं-नहीं, आप गलत कह रहे... Manish Mishra


रमेश उपाध्याय की फेसबुक वॉल से, Wed, 17 Feb 2021 11:05 PM Share Follow Us on __ आजकल आप किसी से कुछ कहते हैं और वह आपकी बात से सहमत है, तो यह नहीं कहेगा कि ‘हां, आप सही कह रहे हैं।’ और यदि


वह सहमत नहीं है, तो यह नहीं कहेगा कि ‘नहीं-नहीं, आप गलत कह रहे हैं।’ दोनों ही सूरत में आजकल एक मजेदार चीज सामने आती है, ‘हां, लेकिन...’ यानी वह ‘हां’ कहकर आपसे सहमत भी हो लेगा और अगली ही


सांस में ‘लेकिन’ कहकर असहमत भी हो जाएगा। कई बार आपको लगता है कि अगला आपसे कुछ दूर या आधी दूर तक सहमत है और बाकी असहमत। या आप सोचते हैं कि आगे वह आपसे भिन्न कोई अपना विचार व्यक्त करेगा और बात


या बहस आगे बढ़ेगी। लेकिन आजकल लोग अक्सर ‘लेकिन’ के बाद जो कहते हैं, वह उनका अपना विचार नहीं होता। वे कहते हैं, ‘लेकिन सरकार तो यह कह रही है...’ आप कहते हैं, ‘सरकार जो कह रही है, वह तो हमें


भी मालूम है, हम आपके विचार जानना चाहते हैं।’ तो अगला कहता है, ‘हां, लेकिन...’ और वह टीवी या सोशल मीडिया के हवाले से फिर सरकार द्वारा कही गई वही बातें दोहरा देता है, जो उसे सरकारी


प्रचार-तंत्र से मालूम हुई हैं। और फिर आप सोचते रह जाते हैं कि आप कहां जाएं और किससे वाद, विवाद, संवाद करें!