
Lok sabha election result 2019: पूर्णिया में जद यू की जीत, संतोष कुशवाहा बने सांसद
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अबकी बार, वही सांसद जिसकी सरकार। पूर्णिया के मतदाताओं ने संतोष को चुनकर दो दशक पुराने ट्रेंड को भी इस बार बदल डाला। एनडीए प्रत्याशी संतोष कुशवाहा 54.85 फीसदी मत हासिल कर लगातार दूसरी बार
पूर्णिया के... अबकी बार, वही सांसद जिसकी सरकार। पूर्णिया के मतदाताओं ने संतोष को चुनकर दो दशक पुराने ट्रेंड को भी इस बार बदल डाला। एनडीए प्रत्याशी संतोष कुशवाहा 54.85 फीसदी मत हासिल कर
लगातार दूसरी बार पूर्णिया के सांसद चुन लिए गए हैं। इस चुनाव में कई रिकार्ड कायम हुए। पूर्णिया में पहली बार सबसे अधिक मतदान का रिकार्ड बना। जनता ने पहली बार रिकार्ड छह लाख से अधिक मतदान विजयी
प्रत्याशी के पक्ष में किया। संतोष कुशवाहा को 6,32,924 मत हासिल हुआ, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी उदय सिंह को 369463 मत हासिल हुआ। संतोष कुशवाहा ने कांग्रेस प्रत्याशी को 263461 के भारी अंतर से
पराजित किया। पूर्णिया में अब तक कि यह दूसरी सबसे बड़ी जीत है। इससे पहले पप्पू यादव ने 1996 में 3.16 लाख मतों से जीत हासिल की थी। पूर्णिया कॉलेज स्थित मतगणना केंद्र में सुबह आठ बजे मतदान की
प्रक्रिया शुरू हुई। पहले राउंड की काउंटिंग से ही संतोष कुशवाहा पप्पू सिंह पर भारी पड़ने लगे। कई राउंड में दोगुने और तीनगुने मतों से संतोष को लीड मिली। 23 राउंड की मतगणना के बाद शाम साढ़े सात
बजे संतोष कुशवाहा की जीत की घोषणा के बाद जिला निर्वाचन पदाधिकारी प्रदीप कुमार झा के द्वारा उन्हें सर्टिफिकेट सौंपा गया। इस दौरान धमदाहा की जदयू विधायक लेसी सिंह और रूपौली की जदयू विधायक बीमा
भारती भी उनके साथ थी। तीसरे नंबर पर निर्दलीय प्रत्याशी सुभाष कुमार ठाकुर रहे। उन्हें 31795 मत मिले। चौथे नंबर पर निर्दलीय प्रत्याशी सगीर अहमद रहे, जिन्हें 21374 मत मिले। बसपा प्रत्याशी
जितेंद्र उरांव को 16537 वोट मिले। इसके अलावा बाकी ग्यारह निर्दलीय प्रत्याशी दस हजार का आंकड़ा भी नहीं छू पाया। नोटा बटन दबाने वालों की संख्या पिछले चुनाव में लगभग दोगुनी हुई। इस बार 18569
मतदाता ने नोटा का बटन दबाया। लगातार दो बार जीतने वाले पांचवे सांसद 17 वीं लोकसभा के नवनिर्वाचित सांसद संतोष कुशवाहा पूर्णिया सीट के पांचवें ऐसे सांसद बन गए, जिन्होंने लगातार दो बार जीत
हासिल की है। इनके पहले दो बार संसद जाने वालों में फणीगोपाल सेन गुप्ता, माधुरी सिंह, राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव एवं उदय सिंह उर्फ पप्पू सिंह शुमार थे। कुशवाहा ने इस बार भी पूर्व सांसद उदय
सिंह को हराया। पिछले चुनाव से फर्क इतना था कि उस चुनाव में उदय सिंह भाजपा का कमल लेकर चुनाव लड़ रहे थे, वहीं जदयू के संतोष कुमार कुशवाहा को इस बार कमल का बैकअप मिला था। हालांकि इस चुनाव में
उदय सिंह को भी राजद का साथ अवश्य मिला, मगर चुनावी दंगल में वे मात खा गए। पिछले चुनाव में मोदी फैक्टर को दरकिनार कर यहां के मतदाताओं ने जदयू को विजय का सेहरा बांधा था। राजनीति विशेषज्ञों की
मानें तो इसबार के चुनाव में स्थानीय मुद्दे पूरी तरह गौण हो गए। लोगों की जुबान पर केवल देश की सुरक्षा को लेकर चर्चाएं थीं। मतदाता एक बार फिर नरेन्द्र मोदी को देश की बागडोर सौंपने को आतुर थे।
मोदी विरोधियों के सारे दांवपेंच पर मतदाता चुप्पी साधे आत्ममंथन कर रहे थे। नतीजतन, मोदी के नाम ने ही इस बार कुशवाहा का बेड़ा पार किया। पोस्टल बैलेट में भी एनडीए रहा आगे ’ पोस्टल बैलेट से सबसे
ज्यादा 489 वोट एनडीए को मिला ’ पोस्टल बैलेट से कांग्रेस को 185 वोट मिले, कुल बैलेट वोट 789 थे कसबा व कोढ़ा में भी बढ़त नहीं कसबा और कोढ़ा विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस विधायक होने के बावजूद
उदय सिंह को बढ़त नहीं मिली। दोनों जगह एनडीए ने लीड लिया। नए सांसद से पांच सवाल ’ सबसे अधिक प्राथमिकता के तीन काम? पूर्णिया का विकास मेरी प्राथमिकता है। हवाई अड्डा से उड़ान शुरू होगी। उद्योग
धंधे स्थापित कर रोजगार के अवसर पैदा किए जाएंगे। स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर होंगी। ’ आपके लिए चुनौतियां क्या हैं? (चुनौतियों के सवाल को सांसद ने मुस्कुराते हुए टाल दिया।) ’ जीत की दो वजह?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पांच साल और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के तेरह वर्षों के कार्यकाल में हुए विकास जीत के अहम कारण हैं। हर जाति, धर्म, मजहब के अलावा गरीब, किसान, मजदूर सबने हमें
आशीर्वाद दिया। ’ जीत का श्रेय पार्टी लीडर व कार्यकर्ताओं के अलावा किसे देते हैं? पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं के अलावा जनता का आशीर्वाद मिला। चुनाव संतोष कुशवाहा नहीं जनता लड़ रही थी।
एकजुट होकर गठबंधन ने चुनाव लड़ा। ’ आपने चुनाव अभियान से क्या सीखा? इस चुनाव में सभी समीकरण ध्वस्त हो गए। मोदी-नीतीश फैक्टर पर जीत मिली। सीख यही है कि विकास का कोई विकल्प नहीं है। आगे भी
विकास के जरिए जनता का भरोसा जीतेंगे। पूर्णिया को पहली बार मिल सकता है मंत्रीपद टेंड्र के इतर जनता के द्वारा सांसद चुनने के कारण इस बार पूर्णिया को मंत्री भी मिल सकता है। संतोष कुशवाहा मंत्री
बन सकते हैं। वह बिहार में तीसरे सांसद हैं जिन्हें छह लाख से अधिक वोट मिले हैं। कुशवाहा समाज से वह आते हैं। इसका लाभ मिल सकता है। पिछली सरकार में उपेंद्र कुशवाहा मंत्री बने थे। इस बार वह
एनडीए का हिस्सा नहीं हैं। सीमांचल से पिछली मोदी सरकार में भी कोई मंत्री नहीं था। दावेदार होंगे तो कुशवाहा ही। वैसे उनसे जब यह सवाल किया गया कि आप मंत्री बन सकते हैं? उनका जवाब था कि यह हमारा
सब्जेक्ट नहीं है।