
जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ ऐक्शन तेज, pm से मिले अमित शाह; अब विपक्ष से मंथन
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संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू सहमति बनाने की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। उनका कहना है कि यह राजनीतिक मामला नहीं है। ऐसे में किसी भी तरह के मतभेद की जरूरत नहीं है। न्यायपालिका से जुड़ा यह एक
गंभीर मसला है, जिस पर सभी को एकजुट होकर फैसला करना चाहिए। Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीWed, 4 June 2025 09:28 AM Share Follow Us on __ दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के
खिलाफ महाभियोग की कार्रवाई जल्दी ही शुरू करने की तैयारी है। इस कार्रवाई के लिए सरकार चाहती है कि विपक्ष को भी साध लिया जाए। सरकार चाहती है कि महाभियोग के लिए राजनीतिक सहमति बन जाए। संसदीय
कार्य मंत्री किरेन रिजिजू सहमति बनाने की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। उनका कहना है कि यह राजनीतिक मामला नहीं है। ऐसे में किसी भी तरह के मतभेद की जरूरत नहीं है। न्यायपालिका से जुड़ा यह एक गंभीर
मसला है, जिस पर सभी को एकजुट होकर फैसला करना चाहिए। दरअसल करीब एक महीने पहले ही पूर्व चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ आई रिपोर्ट को सौंपा था। यह रिपोर्ट पीएम और
राष्ट्रपति के पास भेजी गई थी। तीन जजों की एक टीम ने जांच की थी और उसमें जस्टिस वर्मा को दोषी पाया गया था। इसके आधार पर ही रिपोर्ट पीएम और राष्ट्रपति को भेजी गई है। 14 मार्च को जस्टिस वर्मा
के सरकारी आवास में आग लग गई थी। इस दौरान बड़े पैमाने पर नोट पाए गए थे और कुछ जल भी गए थे। कैश का इतना बड़ा भंडार मिलने पर सवाल उठे थे तो फिर चीफ जस्टिस ने उनके खिलाफ जांच कराई। इसके अलावा
जस्टिस वर्मा का ट्रांसफर इलाहाबाद हाई कोर्ट कर दिया गया। इस मामले में ऐक्शन से पहले होम मिनिस्टर अमित शाह और कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने पीएम नरेंद्र मोदी से मंगलवार को मुलाकात की थी।
इस मीटिंग में तय होना था कि आखिर कैसे महाभियोग की प्रक्रिया शुरू की जाए। इसके अलावा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से भी भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और अमित शाह ने मुलाकात की थी। इन बैठकों के बाद ही
रिजिजू ने विपक्ष के नेताओं से बात की है। दरअसल राज्यसभा और लोकसभा में एनडीए का बहुमत है, लेकिन सरकार चाहती है कि इस मामले में सर्वसम्मति से ही फैसला किया जाए। बता दें कि सरकार मॉनसून सेशन
में ही महाभियोग प्रस्ताव लाना चाहती है। मॉनसून सेशन जुलाई के तीसरे सप्ताह में शुरू हो सकता है। यही नहीं कुछ नेताओं की राय तो यह भी है कि विशेष सत्र बुलाया जाए। इस सत्र के दौरान ही महाभियोग
प्रस्ताव पर चर्चा हो और वोटिंग करा ली जाए। लोकसभा में प्रस्ताव लाने के लिए कम से कम 100 सांसदों का समर्थन जरूरी है। इसके अलावा 50 राज्यसभा सांसदों का समर्थन होना चाहिए।