चीनी ऐप टिकटॉक की तरफ से कोर्ट में पैरवी नहीं करेंगे कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी

चीनी ऐप टिकटॉक की तरफ से कोर्ट में पैरवी नहीं करेंगे कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी


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वरिष्ठ वकील और कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने बुधवार (1 जुलाई) को कहा कि वो चीनी ऐप टिकटॉक की तरफ से कोर्ट में पैरवी नहीं करेंगे। सिंघवी ने बताया कि टिकटॉक के लिए उन्होंने एक साल...


वरिष्ठ वकील और कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने बुधवार (1 जुलाई) को कहा कि वो चीनी ऐप टिकटॉक की तरफ से कोर्ट में पैरवी नहीं करेंगे। सिंघवी ने बताया कि टिकटॉक के लिए उन्होंने एक साल पहले


सुप्रीम कोर्ट में पैरवी की थी और वे जीते भी थे। हालांकि, इस दफा वो कोर्ट में चीनी ऐप के लिए खड़े नहीं होंगे। इससे पहले देश के शीर्ष वरिष्ठ अधिवक्ताओं में शुमार पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल


रोहतगी ने भी चीनी ऐप टिक-टॉक का मुकदमा लड़ने से इनकार कर दिया। रोहतगी ने बुधवार को कहा कि वह एक चीनी ऐप के लिए भारत सरकार के खिलाफ अदालत में खड़ा नहीं होंगे। टिक-टॉक ने मामले की पैरवी के लिए


रोहतगी से संपर्क किया था, लेकिन उन्होंने टिक-टॉक की तरफ से सरकार के खिलाफ पेश होने से इनकार कर दिया। उनका कहना है कि वह भारत सरकार के खिलाफ चीनी ऐप के लिए कोर्ट में केस नहीं लड़ेंगे। > I 


will not be appearing for TikTok. I had appeared for them in a > case one year ago and won in Supreme Court. I don’t intend to > appear in this one: Senior lawyer and Congress leader 


Abhishek Manu > Singhvi > (file pic) pic.twitter.com/582XzN7m5d — ANI (@ANI) July 1, 2020 गौरतलब है कि भारत ने सोमवार (29 जून) को 59 ऐप पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिसमें बेहद लोकप्रिय


टिकटॉक और यूसी ब्राउजर भी शामिल हैं। ये प्रतिबंध लद्दाख क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी सैनिकों के साथ मौजूदा तनावपूर्ण स्थितियों के बीच लगाए गए हैं। प्रतिबंधित सूची में वीचैट,


बीगो लाइव, हैलो, लाइकी, कैम स्कैनर, वीगो वीडियो, एमआई वीडियो कॉल - शाओमी, एमआई कम्युनिटी, क्लैश ऑफ किंग्स के साथ ही ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म क्लब फैक्टरी और शीइन शामिल हैं। आईटी मंत्रालय ने


सोमवार (29 जून) को जारी एक आधिकारिक बयान में कहा कि उसे विभिन्न स्रोतों से कई शिकायतें मिली हैं, जिनमें एंड्रॉयड और आईओएस प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध कुछ मोबाइल ऐप के दुरुपयोग के बारे में कई


रिपोर्ट शामिल हैं। इन रिपोर्ट में कहा गया है कि ये ऐप उपयोगकर्ताओं के डेटा को चुराकर, उन्हें गुपचुक तरीके से भारत के बाहर स्थित सर्वर को भेजते हैं। बयान में कहा गया, ''भारत की


राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति शत्रुता रखने वाले तत्वों द्वारा इन आंकड़ों का संकलन, इसकी जांच-पड़ताल और प्रोफाइलिंग अंतत: भारत की संप्रभुता और अखंडता पर आधात होता है, यह बहुत अधिक चिंता का विषय


है, जिसके खिलाफ आपातकालीन उपायों की जरूरत है।" सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने आईटी कानून और नियमों की धारा 69ए के तहत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए इन एप्स पर प्रतिबंध लगाने का


फैसला किया।