जम्मू-कश्मीरः रमजान के दौरान आतंकियों के खिलाफ सेना नहीं करेगी अॉपरेशन

जम्मू-कश्मीरः रमजान के दौरान आतंकियों के खिलाफ सेना नहीं करेगी अॉपरेशन


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केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर में सशर्त सीजफायर को मंजूरी दे दी है। रमजान के दौरान सुरक्षा बल घाटी में कोई आपरेशन शुरू नहीं करेंगे। हालांकि आतंकियों की ओर से हमला होने या निर्दोष लोगों की जान


बचाने के... केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर में सशर्त सीजफायर को मंजूरी दे दी है। रमजान के दौरान सुरक्षा बल घाटी में कोई आपरेशन शुरू नहीं करेंगे। हालांकि आतंकियों की ओर से हमला होने या निर्दोष


लोगों की जान बचाने के लिए इस तरह की पाबंदी नहीं होगी। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट करके फैसले की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने सुरक्षा बलों को कहा है कि वे जम्मू


कश्मीर में रमजान के पवित्र महीने के दौरान ऑपरेशन लांच नहीं करें। यह फैसला अमन पसंद मुसलमानों को शांतिपूर्ण माहौल में रमजान मनाने में मदद करने के लिहाज से किया गया है। गृहमंत्री ने कहा कि ऐसे


तत्वों को अलग थलग करने की जरूरत है जो इस्लाम का नाम बदनाम करके हिंसा को अंजाम देते हैं। राजनाथ ने इस फैसले की जानकारी जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को दे दी है। जवाब देने का


अधिकार सुरक्षित गृहमंत्री ने कहा कि हमला होने की स्थिति में सुरक्षा बल जवाब देने का अधिकार सुरक्षित रखेंगे। निर्दोष लोगों की जान बचाने के लिए भी सुरक्षा बलों को रक्षात्मक कार्रवाई की इजाजत


होगी। गृहमंत्री ने कहा कि सरकार सभी से अपेक्षा करती है कि वे इस मुहिम में सहयोग करें जिससे मुसलमान भाई बहन शांतिपूर्ण तरीके से बिना किसी कठिनाई के रमजान मना सकें। आतंकी करते रहे हैं रक्तपात


गृहमंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि गुरुवार से रमजान का महीना शुरू हो रहा है। यह दुख का विषय है कि पिछले कुछ सालों से रमजान के पवित्र महीने में आतंकियों ने भारत में और विश्व के


अन्य भागों में भारी रक्तपात किया है। इससे सच्चे इस्लाम के मार्ग पर चलने वाले शांतिप्रिय मुसलमान और अन्य समाजों को भारी यातनाएं सहनी पड़ी हैं। बयान के मुताबिक भारत सरकार चाहती है कि रमजान


महीने के दौरान समाज के सभी वर्गों विशेष तौर पर शांतिप्रिय मुस्लिम समाज को किसी संकट और कठिनाई का सामना नहीं करना पड़े। इसके लिए यह आवश्यक है कि सभी शांतिप्रिय लोग मिलकर आतंकियों को अलग थलग


करें और हिंसा की राह पर गुमराह लोगों को शांति के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करें। पहले भी हुई थी पहल वर्ष 2000 में अटल बिहारी बाजपेयी सरकार के दौरान भी सीजफायर की पहल हुई थी। इसके लिए रॉ


ने हिज्बुल मुजाहिदीन को राजी किया था। जुलाई में सीजफायर की घोषणा हुई। लेकिन अगस्त में पाकिस्तान में बैठक हुए सैयद सलाहुद्दीन ने एकतरफा तरीके से सीजफायर समाप्त करने की घोषणा कर दी। 2003 में


भी सीमा पर सीजफायर की घोषणा की गई थी। इसने भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत का रास्ता खोला था। जम्मू कश्मीर सरकार ने स्वागत किया  केंद्र सरकार की इस पहल का जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा


मुफ्ती और नेशनल कान्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुला ने स्वागत किया है। महबूबा ने ट्वीट किया , ‘मैं रमजान में सीजफायर के लिए केंद्र सरकार द्वारा लिए गए फैसले का स्वागत करती हूं। मैं इस फैसले के


लिए पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री राजनाथ सिंह को धन्यवाद करना चाहती हूं जिन्होंने निजी रूप से इस मामले में रुचि लेते हुए यह निर्णय कराया है। मैं उन राजनीतिक दलों को भी धन्यवाद देना चाहती


हूं, जिन्होंने सर्वदलीय बैठक में इस प्रस्ताव पर हमारा सहयोग किया था।’ इससे पहले महबूबा समेत जम्मू-कश्मीर के सभी दलों ने 9 मई को एक सर्वदलीय बैठक में रमजान और अमरनाथ यात्रा को देखते हुए


केंद्र सरकार से आतंकियों के साथ संघर्ष विराम की अपील की थी। मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा था कि कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने का प्रयास किया जाना चाहिए ताकि ईद और अमरनाथ यात्रा शांतिपूर्ण


ढंग से संपन्न हो सके। _सभी दलों की मांग पर केंद्र ने सीजफायर का एलान किया है, अगर आतंकी इस फैसले का सकारात्मक जवाब नहीं देते हैं तो इससे पता चलेगा कि वही कश्मीर की आवाम के असली दुश्मन हैं।  


_- उमर अब्दुल्ला, पूर्व मुख्यमंत्री, जम्मू कश्मीर