दिल्ली में सभी ऊंची इमारतों पर सालभर एंटी स्मॉग गन लगाना अनिवार्य, रेखा गुप्ता सरकार का आदेश

दिल्ली में सभी ऊंची इमारतों पर सालभर एंटी स्मॉग गन लगाना अनिवार्य, रेखा गुप्ता सरकार का आदेश


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राजधानी दिल्ली सभी ऊंची इमारतों पर सालभर एंटी-स्मॉग गन तैनात करने वाला देश का पहला शहर बनेगी। पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने शुक्रवार को इसकी घोषणा की। राजधानी दिल्ली सभी ऊंची इमारतों


पर सालभर एंटी-स्मॉग गन तैनात करने वाला देश का पहला शहर बनेगी। पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने शुक्रवार को इसकी घोषणा की। सिरसा ने बताया कि पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम के तहत दिल्ली


सरकार ने सभी ऊंची इमारतों पर एंटी स्मॉग गन तैनात करने के निर्देश दिए हैं। यह निर्देश तीन हजार वर्गमीटर से बड़े व्यावसायिक परिसरों, मॉल, होटल और कार्यालयाें-संस्थानों की उन इमारतों पर लागू


होंगे, जिनकी ऊंचाई छह मंजिल (जी प्लस फाइव) होगी। आवासीय भवनों, ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी और व्यक्तिगत मकानों को इससे छूट दी गई है। एंटी स्मॉग गन की तैनाती के लिए छह माह की समयसीमा तय की गई है।


मॉनसून अवधि छोड़कर इनका संचालन वर्षभर अनिवार्य रहेगा। एंटी-स्मॉग गन की संख्या 10,000 वर्ग मीटर से कम के लिए न्यूनतम तीन गन होनी चाहिए। तिमाही रिपोर्ट बनेगी : पर्यावरण मंत्री ने बताया कि इन


निर्देशों को लागू कराने की जिम्मेदारी नगर निगम, डीडीए, सीपीडब्ल्यूडी, एनबीसीसी, पीडब्ल्यूडी, डीयूएसआईबी और डीएसआईआईडीसी सहित अन्य संबंधित एजेंसियों को सौंपी गई है। ये विभाग निर्देश लागू


कराने को लेकर किए गए कार्यों पर अपनी तिमाही रिपोर्ट पर्यावरण विभाग को सौंपेंगे। सिरसा ने कहा, “यह हमारे बच्चों की सांस लेने की शुद्ध हवा का सवाल है। वर्षों से यह प्रदूषण स्रोत केवल परामर्श


या मौसमी नियंत्रण तक सीमित था। आज हमने विधिक रूप से इसे नियंत्रित करने का निर्णय लिया है। अब यह अनिवार्य है— स्मॉग गन लगाइए, निर्देशानुसार चलाइए, नहीं तो कार्रवाई झेलिए। अब बहानों के लिए कोई


जगह नहीं बची है। इस निर्णय के साथ दिल्ली देश का पहला ऐसा शहर बना है जिसने कानूनी रूप से बिल्डिंग की छत पर एंटी-स्मॉग ढांचे को शहरी नीति में शामिल किया है।” शोधित जल का किया जाएगा इस्तेमाल ●


दस हजार वर्ग मीटर तक की इमारत पर तीन एंटी स्मॉग गन लगानी होंगी। ● हर पांच हजार वर्ग मीटर पर एक अतिरिक्त एंटी स्मॉग गन लगेगी। ● उपचारित जल का प्रयोग होगा। अधिकतम खपत एक हजार से बारह सौ लीटर


प्रति घंटा होगी। ● 75 से 100 मीटर तक होगी बारीक बूदों को फेंकने की रेंज। ● पानी की बूंदों का आकार पांच से 20 माइक्रोन तक होगा, जो पीएम 2.5 और पीएम 10 पर प्रभावी होती हैं।