
किसान आंदोलन : टिकरी बॉर्डर पर बुजुर्ग दादी के साथ महिलाओं ने संभाली लंगर की कमान
- Select a language for the TTS:
- Hindi Female
- Hindi Male
- Tamil Female
- Tamil Male
- Language selected: (auto detect) - HI
Play all audios:

राजधानी दिल्ली के टिकरी बॉर्डर पर आंदोलन में एक बार फिर महिलाओं की भागीदारी बढ़ने लगी हैं। पिछले एक महीने में आंदोलन स्थल पर दो 90 वर्षीय बुजुर्ग महिलाएं डेरा डाले हुए हैं। शनिवार को
दोनों... Shivendra Singh राजन शर्मा, नई दिल्लीTue, 2 Feb 2021 07:48 AM Share Follow Us on __ राजधानी दिल्ली के टिकरी बॉर्डर पर आंदोलन में एक बार फिर महिलाओं की भागीदारी बढ़ने लगी हैं। पिछले
एक महीने में आंदोलन स्थल पर दो 90 वर्षीय बुजुर्ग महिलाएं डेरा डाले हुए हैं। शनिवार को दोनों बुजुर्ग महिलाओं के गांव की महिलाएं उनका साथ देने के लिए बड़ी संख्या में बॉर्डर पर पहुंचीं तो दोनों
बुजुर्ग दादियों ने उनके साथ मुख्य मंच के पास चल रहे लंगर में अपनी सेवाएं देनी शुरू कर दीं और लंगर में खाना बनाने की कमान संभाल ली। हरियाणा से आईं ये महिलाएं अपने गांव की बुजुर्ग महिलाओं के
साथ कृषि कानूनों को वापस लेने तक यहां रुकने की बात कह रही हैं। हरियाणा के कबूलपुर गांव में रहने वाली शांति और बीना देवी पिछले एक माह से टिकरी बॉर्डर पर रुकी हुई है। शांति और बीना देवी का
कहना है कि उनके बच्चे अपनी जमीन बचाने के लिए दो माह से सड़क पर बैठे हैं। सरकार उनकी नहीं सुन रहीं है, ऐसे में वह भी गांव में रहकर क्या करतीं। वह भी बच्चों के साथ सड़क पर बैठने आ गईं।
उन्होंने कहा कि इसके लिए बच्चे तैयार न थे, लेकिन हमनें अपनी जिंदगी खेतों में निकाली है। अपनी जमीन को अपनी मां माना हैं और मां को कैसे किसी और के हाथों में जाने देंगे। इसलिए हम अपनी जमीने
बचाने के लिए निकले हैं। महिलाओं ने संभाली कमान जेएसओ के अत्तर सिंह कादयान ने बताया कि कबूलपुर और बेरी गांव की महिलाएं बड़ी संख्या में धरनास्थल पर पहुंची हुई हैं। जींद, रोहतक, झज्जर से
महिलाओं का आना शुरू हो गया है। आने वाले दिनों में आंदोलन की जगह पर महिलाएं बहुत बड़ी संख्या में रहेंगी। इसके साथ ही युवाओं की भागीदारी बढ़ाई जा रही है। महिलाओं ने लंगर में खाना बनाने से लेकर
बांटने तक ही व्यवस्था अपने हाथों में ले ली है। बॉर्डर के पास के गांवों से अब बड़ी मात्रा में सब्जियां, छाछ और दूध आने लगा है। जिसके चलते अब आंदोलन को नई धार मिल रही है।