कूड़े के पहाड़ ने बिगाड़ी आबोहवा

कूड़े के पहाड़ ने बिगाड़ी आबोहवा


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कूड़े के निस्तारण के नाम पर शुरू हुआ ए टू जेड प्लांट अब मथुरा रोड की आबादी के लिए नासूर बनता जा रहा है। एक दशक पहले जिस सोच के साथ इसकी नींव रखी गई थी, वह अब ध्वस्त होती दिख रही है। Sunil


Kumar हिन्दुस्तानWed, 21 May 2025 05:04 PM Share Follow Us on __ प्लांट के पास बना कूड़े का पहाड़ सिर्फ नजारा ही नहीं, लोगों की जिंदगी में घुलती बीमारी भी बन गया है। गर्मी में उठती दुर्गंध


और सड़ते कूड़े की बेमियादी सिलवटें अब लोगों के सब्र का बांध तोड़ रही हैं। हिंदुस्तान की टीम जब मंगलवार को 'बोले अलीगढ़' के तहत मथुरा रोड पहुंची तो लोगों का गुस्सा और दर्द दोनों फूट


पड़े। मथुरा रोड स्थित ए टू जेड प्लांट को 2012 में शुरू किया गया था। मंशा थी कि कूड़े के वैज्ञानिक निस्तारण के साथ यहां से बिजली और अन्य उपयोगी चीजें भी तैयार होंगी। लेकिन अब हकीकत यह है कि


इस प्लांट में एक यूनिट बिजली तक नहीं बनी। नगर निगम क्षेत्र में प्रतिदिन लगभग 500 टन कूड़ा निकलता है, जबकि प्लांट महज 200 टन का निस्तारण करता है। बाकी 300 टन कूड़ा सीधे वहीं फेंक दिया जाता


है। इससे वहां एक कूड़े का पहाड़ बन चुका है, जो अब खतरे का संकेत बन गया है। इस पहाड़ लाखों टन कूड़ा जमा हो गया है। हवा चलने पर पॉलीथिन, कचरा और गंदगी आसपास घरों में उड़कर जाती है। बीते पांच


वर्षों में मथुरा रोड पर कॉलोनियों और जनसंख्या का तेजी से विकास हुआ है। लेकिन कूड़े के पहाड़ ने इस विकास की हवा बिगाड़ दी है। गर्मी में जब हवा चलती है तो उस दुर्गंध से लोगों का सांस लेना


मुश्किल हो जाता है। इलाके के लोग लगातार बीमारियों से जूझ रहे हैं, खासकर बुजुर्ग और बच्चे। स्थानीय लोगों का कहना है कि वह 10 साल से इस इलाके में रह रहे हैं। पहले माहौल साफ-सुथरा था, लेकिन अब


हर वक्त कूड़े की बदबू और मक्खियों का आतंक है। बच्चों को बार-बार खांसी, सर्दी और उल्टियां हो रही हैं। हम बार-बार शिकायत कर चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही। अब बस यही मांग है कि इस


प्लांट को कहीं आबादी से बाहर शिफ्ट किया जाए। कृष्णा कॉलोनी के लोगों ने बताया कि गर्मी में खाना बनाना भी मुश्किल हो जाता है। खिड़की खोलो तो बदबू, बंद रखो तो दम घुटता है। बीमारियां बढ़ रही


हैं। हम चाहते हैं कि प्रशासन खुद आकर एक दिन यहां रहे, तब पता चलेगा कि क्या हाल है। कहा कि जब शहर की सीमा फैल गई है, तो यह प्लांट अब शहर से बाहर क्यों नहीं भेजा जा सकता। लोगों ने कहा कि इस


प्लांट को आबादी वाले इलाके से हटाया जाए। कूड़े का पहाड़ बनता जा रहा है संकट मथुरा रोड पर बने ए टू जेड प्लांट की शुरुआत 2012 में इस उद्देश्य से की गई थी कि यहां शहर का कूड़ा निस्तारित होगा और


उससे बिजली जैसी उपयोगी चीजें बनाई जाएंगी। लेकिन आज हालत यह है कि प्लांट में प्रतिदिन केवल 200 टन कूड़ा ही निस्तारित हो पाता है, जबकि शहर से करीब 500 टन कूड़ा निकलता है। बचा हुआ 300 टन कूड़ा


बिना किसी प्रक्रिया के प्लांट में ही डाल दिया जाता है, जिससे वहां एक बड़ा कूड़े का पहाड़ खड़ा हो गया है। यह पहाड़ न केवल पर्यावरणीय खतरा बन चुका है बल्कि आसपास की आबादी के लिए गंभीर


स्वास्थ्य संकट भी उत्पन्न कर रहा है। बच्चों और बुजुर्गों की सेहत पर सीधा असर मथुरा रोड के रहवासी इलाकों में बढ़ती दुर्गंध और उड़ते कूड़े से सबसे अधिक प्रभावित बच्चे और बुजुर्ग हो रहे हैं।


बच्चों को एलर्जी, खांसी और आंखों में जलन की शिकायतें हो रही हैं, वहीं बुजुर्गों को सांस संबंधी बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। डॉक्टरों के मुताबिक यह स्थिति लंबे समय तक बनी रही तो दमा और


क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारियों के मामले और बढ़ सकते हैं। स्थानीय लोगों की मांग है कि प्लांट को आबादी से दूर स्थानांतरित किया जाए ताकि उनके परिवारों को सुरक्षित और स्वच्छ वातावरण मिल


सके।