रोपवे निर्माण के बीच मोदी की काशी में मेट्रो चलाने पर फिर मंथन, इस बार बाहरी रूट पर विचार

रोपवे निर्माण के बीच मोदी की काशी में मेट्रो चलाने पर फिर मंथन, इस बार बाहरी रूट पर विचार


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Hindi NewsUP NewsAmidst construction of ropeway Modi s kashi again thinking running metro this time outer route is considered प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में रोपवे निर्माण के


बीच एक बार फिर मेट्रो ट्रेन चलाने पर मंथन शुरू हो गया है। इस बार मेट्रो का रूट वाराणसी के बाहरी इलाके में रखने पर विचार हो रहा है। Yogesh Yadav वाराणसी, विशेष संवाददाताWed, 21 May 2025


02:47 PM Share Follow Us on __ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की काशी में रोपवे निर्माण के बीच अब मेट्रो चलाने पर एक बार फिर मंथन शुरू हो गया है। अबकी शहर के अंदर नवविकसित इलाकों के लिए


कार्ययोजना तैयार होगी। नए प्रस्ताव में शहर के बाहरी इलाके में बनी रिंग रोड, एनएच किनारे और उन्हें शहर को जोड़ने वाले मार्गों को लेकर रूट तय होगा। जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार ने 2016 में बने


मेट्रो फीजिबिलिट प्लान मांगा है। इसके साथ ही कम्प्रहेंसिव मोबिलिटी प्लान अल्टरनेटिव एनालिसिस रिपोर्ट की बारीकियां परखी जा रही है। डीएम ने बताया कि शहर के लगातार विस्तार औऱ रिंग रोड के पूर्ण


रूप से संचालन से नगरीय इलाकों में तेजी से वृद्धि होगी। शहर का विस्तार एक तरफ बाबतपुर एयरपोर्ट तो दूसरी तरफ मुगलसराय और वाराणसी-प्रयागराज राजमार्ग के किनारे तेजी से हो रहा है। अगले पांच


वर्षों में ये सभी इलाके पूर्ण आबादी वाले हो जाएंगे। ऐसे में यदि पूर्व से ही ट्रैफिक प्रबंधन को लेकर कार्ययोजना तैयार नहीं होगी को आबादी के बीच परियोजना उतारने में दिक्कत हो सकती है। इसलिए नए


इलाकों में मेट्रो चलाने पर विचार किया जा रहा है। इसके लिए पूर्व में बनी रिपोर्ट और प्लान का अध्ययन किया जा रहा है। मेट्रो का प्रस्ताव शासन में भेजा जाएगा। ये भी पढ़ें:यूपी में देर रात बड़ा


प्रशासनिक फेरबदल, कई DM समेत 14 IAS और 6 PCS के तबादले पांच वर्ष तक संभावना तलाशी गई थी मेट्रो चलाने के लिए 2016 में तत्कालीन सरकार ने पहल की थी। पांच वर्ष में फीजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार हुई।


जिसमें दो कॉरिडोर प्रस्तावित हुए। पहला 19.35 किमी लम्बा था, जिसमें भेल (तरना, शिवपुर) से बीएचयू का रूट तय हुआ। दूसरा बेनियाबाग से सारनाथ तक 9.885 किमी लम्बा था। 26 स्टेशन प्रस्तावित हुए,


जिसमें 20 भूमिगत और छह एलिवेटेड थे। मेट्रो मैन श्रीधरन ने भी बनारस आकर अध्ययन किया, लेकिन 2021 में सीवरेज, पेयजल सहित अन्य यूटिलिटी की शिफ्टिंग में दिक्कत का हवाला देते हुए मामला ठंडे बस्ते


में चला गया। नए प्रस्ताव में माना जा रहा है कि इस तरह की दिक्कतें नहीं आएंगी।