
बांके बिहारी में ट्रस्ट पर भड़के शंकराचार्य, बोले- गोरखनाथ मंदिर का भी अधिग्रहण करें
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Hindi NewsUP NewsShankaracharya Avimukteshwara Nand Saraswati angry at the trust in Banke Bihari said take over Gorakhnath temple too वृंदावनर के बांके बिहारी मंदिर के लिए ट्रस्ट बनाने से
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती बेहद नाराज हैं। उन्होंने यहां तक कहा कि गोरखनाथ मंदिर का भी सरकार अधिग्रहण करके दिखाए। Yogesh Yadav लाइव हिन्दुस्तानTue, 3 June 2025 03:12 PM Share
Follow Us on __ वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर के लिए ट्रस्ट बनाने के योगी सरकार के फैसले पर ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामि अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती बेहद नाराज हैं। उन्होंने
कहा कि हमें बड़ा आश्चर्य हो रहा है कि एक तरफ सनातन धर्म के धर्माचार्य पूरे देश में मुहिम चलाए हुए हैं कि सरकार ने जिन-जिन मन्दिरों व धर्मस्थानों का सरकार ने अधिग्रहण कर लिया है उनको वापस लिया
जाए और सनातन धर्म बोर्ड बनाकर धर्माचार्यों द्वारा उसका संचालन किया जाए। मुहिम को सबसे अधिक आगे बढ़ाने वाले देवकीनन्दन ठाकुर के ही वृन्दावन में बांके बिहारी मन्दिर परम्परा से सेवायतों और
पुजारियों के हाथों में था, उसको सरकार ट्रस्ट बनाकर अधिगृहित कर ले रही है और कोई कुछ नही बोल रहा है। कहा कि सरकार अधिग्रहण के लिए ही तत्पर है तो गोरखपुर का गोरखनाथ मन्दिर का भी अधिग्रहण किया
जाए। शंकराचार्य इन दिनों काशी में प्रवास कर मनुस्मृति पर व्याख्यान दे रहे हैं। उन्होंने वृन्दावन के धर्माचार्यों से आह्वान किया कि वे किसी भी कीमत पर बांके बिहारी मन्दिर का अधिगृहण न होने
दें। एक वीडियो सन्देश के माध्यम से शंकराचार्य ने कहा कि जब सरकार मन्दिर को अधिगृहित करके वहां सरकारी अधिकारी बैठा देगी तो भविष्य में फिर वहां धर्म की क्या व्यवस्था देखने को मिलेगी? ये भी
पढ़ें:बांके बिहारी मंदिर के लिए योगी सरकार ने ट्रस्ट बनाया, कॉरिडोर से पहले बड़ा कदम आश्चर्य है कि बातें अलग कहीं जा रही हैं और व्यवहार अलग तरह का किया जा रहा है। सरकार को परम्परा से चले आ
रहे सनातनी मन्दिरों को अधगृहित करने का क्या अधिकार है? बांके बिहारी मंदिर में जो हमारे गोस्वामियों की परम्परा है उस परम्परा का हमें पोषण करना है। यदि बांके बिहारी मंदिर में कोई कमी या कोई
गड़बड़ी भी हो रही है तब भी उस पर विचार कर उसको ठीक किया जाना चाहिए, न कि गड़बड़ी के नाम पर धर्मस्थान को सरकार अधिगृहित कर ले। कहा कि धर्मस्थान और धर्मनिर्पेक्षस्थान में बड़ा अंतर है। हिन्दुस्तान
जब से धर्मनिरपेक्ष हुआ तब से वह धर्मनिर्पेक्षस्थान हो गया। इसलिए कम से कम हिन्दुस्तान के धर्मस्थान को तो धर्मस्थान रहने दीजिए उसे धर्मनिर्पेक्षस्थान मत बनाइए। ये भी पढ़ें:सुप्रीम कोर्ट के
फैसले से बांके बिहारी के भक्त गदगद, ऐसा होगा ठाकुरजी का कॉरिडोर उन्होंने कहा कि गोरखनाथ मंदिर का अधिग्रहण सरकार करेगी तो योगी जी को कैसा लगेगा। जब आप बांके बिहारी मन्दिर को ट्रस्ट बनाकर वहां
के सेवायतों महंतों को आप अलग करना चाहते हैं तो आपके गोरखनाथ मन्दिर को भी साथ मे ट्रस्ट बनाकर अधिग्रहण कर लिया जाए और आपके मन्दिर ट्रस्ट के रुपए से जनता की सुविधा के लिए सार्वजनिक स्थान बन
जाए। शंकराचार्य ने काशी विश्वनाथ मंदिर के अधिग्रहण की चर्चा करते हुए कहा कि 1982 में यहां हुई चोरी के नाम पर मंदिर को अधिगृहित कर लिया था। जबकि आज तक उस चोरी को सुप्रीम कोर्ट तक में साबित
नही किया जा सका है। जबकि अधिग्रहण के बाद से विश्वनाथ मन्दिर में अनेकों चोरियां हुईं लेकिन कहीं कोई दिक्कत नही है क्योंकि वह सरकार के नियन्त्रण में है।